Book Name:Allah waloon ki Namaz
दो मदनी फूल :-
(1) बिग़ैर अच्छी निय्यत के किसी भी अ़मले ख़ैर का सवाब नहीं मिलता ।
(2) जितनी अच्छी निय्यतें ज़ियादा, उतना सवाब भी ज़ियादा ।
٭ निगाहें नीची किये ख़ूब कान लगा कर बयान सुनूंगा । ٭ टेक लगा कर बैठने के बजाए इ़ल्मे दीन की ता'ज़ीम की ख़ात़िर जब तक हो सका दो ज़ानू बैठूंगा । ٭ اُذْکُرُوااللّٰـہَ، تُوبُوْا اِلَی اللّٰـہِ صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْبِ، वग़ैरा सुन कर सवाब कमाने और सदा लगाने वालों की दिलजूई के लिये बुलन्द आवाज़ से जवाब दूंगा । ٭ बयान के बा'द इस्लामी भाइयों से ख़ुद आगे बढ़ कर सलाम करूंगा, हाथ मिलाऊंगा और इनफ़िरादी कोशिश करूंगा ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! अल्लाह पाक ने हम पर नमाज़ फ़र्ज़ फ़रमाई और नमाज़ की अदाएगी पर दुन्या व आख़िरत में अ़ज़ीमुश्शान बरकात और इन्आमात का वा'दा फ़रमाया । हमारे बुज़ुर्गाने दीन जब नमाज़ अदा फ़रमाते, तो दुन्यावी ख़यालात और अपने इर्द गिर्द से बिल्कुल बे नियाज़ हो कर ज़ाहिरी और बात़िनी आदाब के साथ रब्बे काइनात के ह़ुज़ूर