Book Name:Allah waloon ki Namaz
क़दर (या'नी मिक़्दार) ठहरना (वाजिब है), ता'दीले अरकान भूल गया (तो) सजदए सहव वाजिब है । (बहारे शरीअ़त, ह़िस्सा सिवुम, 1 / 518, ह़िस्सा चहारुम, 1 / 711) बहर ह़ाल वुज़ू व ग़ुस्ल के दुरुस्त त़रीके़ के साथ साथ नमाज़ के वाजिबात, मकरूहात, मुफ़्सिदात (या'नी नमाज़ को तोड़ने वाली चीज़ें) और दीगर ज़रूरी मसाइल की मा'लूमात होनी चाहिये ताकि हमारी नमाज़ें ख़राब और ज़ाएअ़ न हों क्यूंकि हर आक़िल व बालिग़ मुसलमान पर जिस त़रह़ नमाज़ पढ़ना फ़र्ज़ है, इसी त़रह़ ह़स्बे ह़ाल नमाज़ के मसाइल सीखना भी फ़र्ज़ है ।
किताब "नमाज़ के अह़काम" का तआरुफ़
اَلْحَمْدُ لِلّٰہ عَزَّ وَجَلَّ ! शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत, बानिये दा'वते इस्लामी, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना अबू बिलाल मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी रज़वी ज़ियाई دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ ने मुसलमानों की ख़ैर ख़्वाही के जज़्बे के तह़त नमाज़ के मसाइल के बारे में 499 सफ़ह़ात पर मुश्तमिल निहायत ही आसान किताब बनाम "नमाज़ के अह़काम" तालीफ़ फ़रमाई है । येह किताब दर ह़क़ीक़त अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के तह़रीर कर्दा बारह रसाइल का मजमूआ है जो कि यक़ीनन उम्मते मुस्लिमा के लिये एक अ़ज़ीम तोह़फ़ा है । इस में वुज़ू व ग़ुस्ल के त़रीक़े से ले कर नमाज़ का त़रीक़ा, उस के फ़ज़ाइल, फ़राइज़, वाजिबात, सुन्नतें, मकरूहात और मुफ़्सिदात तक का ज़िक्र किया गया है ।