Book Name:Allah waloon ki Namaz
ह़ज़रते सय्यिदुना इबने अ़ब्बास और ह़ज़रते सय्यिदुना इबने उ़मर رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہُمْ اَجْمَعِیْن से मरवी है कि हम ने रसूलुल्लाह صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को मिम्बर पर येह फ़रमाते हुवे सुना :
لَيَـنْـتَهِيَـنَّ اَقْوَامٌ عَنْ وَدْعِـهِمُ الْـجَمَاعَاتِ اَوْ لَيَـخْـتِمَنَّ اللهُ عَلٰی قُلُوبِهِمْ ثُمَّ لَيَكُونُنَّ مِنْ الْـغَافِـلِينَ
लोग जमाअ़त छोड़ने से बाज़ आ जाएं, वरना अल्लाह पाक उन के दिलों पर मोहर लगा देगा फिर वोह ग़ाफ़िलों में से हो जाएंगे ।
(ابنِ ماجہ،کتاب المساجد و الجماعات،باب التغلیظ فی التخلف عن الجماعۃ،۱/۴۳۶،حدیث:۷۹۴)
एक और ह़दीसे पाक में येही वई़द जुमुए़ की नमाज़ तर्क करने के बारे में आई है । चुनान्चे, नबिय्ये करीम, रऊफ़ुर्रह़ीम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : लोग जुमुआ छोड़ने से बाज़ रहें, वरना अल्लाह पाक उन के दिलों पर मोहर कर देगा फिर वोह ग़ाफ़िलों में से हो जाएंगे ।
(مسلم،کتاب الجمعۃ،باب التغلیظ فی ترک الجمعۃ،ص ۴۳۰،حدیث:۸۶۵)
मुफ़स्सिरे शहीर, ह़कीमुल उम्मत, मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान عَلَیْہِ رَحمَۃُ اللّٰہ ِالْمَنَّان इस ह़दीसे पाक के तह़त फ़रमाते हैं : ख़याल रहे कि यहां रूए सुख़न (या'नी गुफ़्तगू का रुख़) या तो उन मुनाफ़िक़ों की त़रफ़ है जो जुमुआ (या आम नमाज़ों) में ह़ाज़िर न होते थे या आइन्दा आने वाले मुसलमानों की त़रफ़ है, वरना कोई सह़ाबी