Book Name:Allah waloon ki Namaz
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : और नमाज़ क़ाइम रखने वाले और ज़कात देने वाले और अल्लाह और क़ियामत पर ईमान लाने वाले, ऐसों को अ़न क़रीब हम बड़ा सवाब देंगे ।
وَاَنْ اَقِیْمُوا الصَّلٰوةَ وَ اتَّقُوْهُؕ-وَ هُوَ الَّذِیْۤ اِلَیْهِ تُحْشَرُوْنَ(۷۲)(پ۷،الاَنْعام:۷۲)
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : और येह कि नमाज़ क़ाइम रखो और उस से डरो और वोही है जिस की त़रफ़ तुम्हें उठाया जाएगा ।
حٰفِظُوْا عَلَى الصَّلَوٰتِ وَ الصَّلٰوةِ الْوُسْطٰىۗ-وَ قُوْمُوْا لِلّٰهِ قٰنِتِیْنَ(۲۳۸)(پ۲،البقرۃ:۲۳۸)
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : तमाम नमाज़ों की पाबन्दी करो और ख़ुसूसन दरमियानी नमाज़ की और अल्लाह के ह़ुज़ूर अदब से खड़े हुवा करो ।
وَ اَقِیْمُوا الصَّلٰوةَ وَ اٰتُوا الزَّكٰوةَ وَ ارْكَعُوْا مَعَ الرّٰكِعِیْنَ(۴۳)(پ۱،البقرۃ:۴۳)
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : और नमाज़ क़ाइम रखो और ज़कात अदा करो और रुकूअ़ करने वालों के साथ रुकूअ़ करो ।
सदरुल अफ़ाज़िल, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना सय्यिद मुह़म्मद नई़मुद्दीन मुरादाबादी عَلَیْہِ رَحمَۃُ اللّٰہ ِالھَادِی आख़िरी आयते मुबारका के तह़त फ़रमाते हैं : इस आयत में नमाज़ व ज़कात की फ़र्ज़िय्यत का बयान है और इस त़रफ़ भी इशारा है की नमाज़ों को उन के ह़ुक़ूक़ की रिआयत और अरकान की ह़िफ़ाज़त के साथ अदा करो । मसअला : (इसी आयते मुबारका में) जमाअ़त की तरग़ीब भी है ।