Allah waloon ki Namaz

Book Name:Allah waloon ki Namaz

अदा किया करते थे । आइये ! तरग़ीब के लिये इस ज़िमन में बुज़ुर्गाने दीन के तीन वाक़िआत सुनते हैं । चुनान्चे,

1﴿...'ला ह़ज़रत की नमाज़

        ह़ज़रते मौलाना मुह़म्मद ह़ुसैन चिश्ती निज़ामी फ़ख़्री رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ जिन्हें चन्द साल आ'ला ह़ज़रत, इमाम अह़मद रज़ा ख़ान عَلَیْہِ رَحمَۃُ اللّٰہ ِالرَّحْمٰن के फ़तावा लिखने की ख़िदमत ह़ासिल रही, आप फ़रमाते हैं कि आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने तमाम उ़म्र लाज़िमी त़ौर पर जमाअ़त से नमाज़ पढ़ी और कैसी ही गर्मी क्यूं न हो हमेशा दस्तार (या'नी इ़मामे) और अंगरखे (या'नी कुर्ते के ऊपर से पहनने वाली एक पोशाक) के साथ नमाज़ पढ़ा करते (या'नी नमाज़ के लिये लिबास में भी ख़ुसूसी एहतिमाम फ़रमाते), ख़ुसूसन फ़र्ज़ नमाज़ तो सिर्फ़ टोपी और कुर्ते के साथ कभी भी अदा न की । मज़ीद फ़रमाते हैं कि आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ जिस क़दर एह़तियात़ से नमाज़ पढ़ते थे, आज कल येह बात नज़र नहीं आती । हमेशा मेरी दो रक्अ़त इन की एक रक्अ़त में होती थी और दूसरे लोग मेरी चार रक्अ़त में कम से कम छे रक्अ़त बल्कि आठ रक्अ़त भी पढ़ लिया करते थे । (ह़याते आ'ला ह़ज़रत, 1 / 153, बित्तग़य्युर)

हो जाएं मौला मस्जिदें आबाद सब की सब

सब को नमाज़ी दे बना या रब्बे मुस्त़फ़ा !

(वसाइले बख़्शिश)