Book Name:Allah waloon ki Namaz
क्यूंकि तुम ने नमाज़ (दुरुस्त) नहीं पढ़ी । चुनान्चे, वोह गया और इसी त़रह़ नमाज़ पढ़ी फिर नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ख़िदमत में ह़ाज़िर हो कर आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को सलाम किया । आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने सलाम का जवाब दिया और इरशाद फ़रमाया : जाओ जा कर नमाज़ पढ़ो ! तुम ने नमाज़ नहीं पढ़ी । इस त़रह़ तीन मरतबा हुवा, तो उस शख़्स ने अ़र्ज़ की : उस ज़ात की क़सम जिस ने आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को ह़क़ के साथ भेजा है ! मुझे ऐसी ही नमाज़ आती है, आप ही मुझे सिखा दीजिये । आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़रमाया : जब तुम नमाज़ के लिये खड़े हो, तो तक्बीर कहो फिर इतना क़ुरआन पढ़ो जितना आसानी से पढ़ सको फिर इत़मीनान से रुकूअ़ करो फिर रुकूअ़ से सर उठा कर सीधे खड़े हो जाओ फिर इत़मीनान से सजदा करो फिर सर उठा कर इत़मीनान से बैठ जाओ और पूरी नमाज़ इसी त़रह़ मुकम्मल करो ।
(بخاری ، کتاب الاذان، باب وجوب القراءۃ…الخ،۱/۱۵۲،حدیث۷۵۷)
नमाज़ों में मुझे हरगिज़ न हो सुस्ती कभी आक़ा
पढ़ूं पांचों नमाज़ें बा जमाअ़त या रसूलल्लाह !
(वसाइले बख़्शिश)
इस ह़दीसे पाक से मा'लूम हुवा कि वाजिब रह जाने की वज्ह से नमाज़ को लौटाना "वाजिब" है । ख़याल रहे कि भूल कर वाजिब छूट जाने पर सजदए सहव वाजिब है और अ़मदन (या'नी जान बूझ कर) छोड़ने से नमाज़ लौटाना वाजिब नीज़ येह