Allah waloon ki Namaz

Book Name:Allah waloon ki Namaz

फ़रमाया : आज रात तुम में से कौन पहरा देगा ? एक मुहाजिर और एक अन्सारी सह़ाबी (رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُمَا) खड़े हुवे और अ़र्ज़ की : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ! येह सआदत हम ह़ासिल करना चाहते हैं, हमें क़बूल फ़रमा लीजिये । चुनान्चे, वोह दोनों इजाज़त पा कर पहरा देने के लिये तय्यार हो गए । दोनों ने मशवरा किया और अन्सारी सह़ाबी رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ ने फ़रमाया : हम ऐसा करते हैं कि आधी रात हम में से एक पहरा देगा और दूसरा सो जाएगा फिर बक़िय्या आधी रात दूसरा पहरा देगा और पहला सो जाएगा, लिहाज़ा आप आराम फ़रमाएं, मैं जागता हूं फिर आप पहरा देना, पस मुहाजिर सह़ाबी رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ आराम फ़रमाने लगे और अन्सारी सह़ाबी رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ पहरा देने के लिये तय्यार हो  गए । कुछ देर के बा'द उन्हों ने नमाज़ पढ़ना शुरूअ़ कर दी और सूरए कहफ़ की क़िराअत करने लगे, दुश्मनों की त़रफ़ से एक शख़्स आया और उस ने पहाड़ी पर चढ़ कर देखा, तो उसे एक शख़्स नमाज़ पढ़ता हुवा दिखाई दिया, उस ने कमान पर तीर चढ़ाया और निशाना बांध कर उस सह़ाबी رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ पर तीर चला दिया, तीर आप رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ के जिस्म में पैवस्त हो गया लेकिन आप رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ ने कोई ह़रकत न की और नमाज़ में मश्ग़ूल रहे । उस ज़ालिम ने दूसरा तीर मारा, वोह भी आप رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ के जिस्मे अक़्दस में उतर गया