Ghous Pak Ka Ilmi Maqam

Book Name:Ghous Pak Ka Ilmi Maqam

दीगर सुन्नतों भरे इजतिमाआ़त में राहे ख़ुदा में ख़र्च करने के फ़ज़ाइल बयान कर के दा'वते इस्लामी को उ़श्र देने और जम्अ़ करने की तरग़ीब दिलाती है । इस शो'बे के ज़िम्मेदारान उ़श्र की वुसूली के लिये वक़्तन फ़-वक़्तन किसानों, ज़मीनदारों, बाग़ात के मालिकान वग़ैरा से इनफ़िरादी कोशिश के ज़रीए़ राबित़ा करते रहते हैं, "किसान इजतिमाआ़त" का भी इनए़क़ाद किया जाता है, रिसाला "उ़श्र के अह़काम" तक़्सीम कर के उ़श्र देने का ज़ेहन दिया जाता है । बिल ख़ुसूस ज़मीनदारों को चाहिये कि उ़श्र के बारे में मा'लूमात जानने के लिये मक्तबतुल मदीना के रिसाले "उ़श्र के अह़काम" और "चन्दा करने की शरई़ एह़तियात़ें" का लाज़िमी मुत़ालआ़ करें । शरीअ़त के मुत़ाबिक़ अपनी फ़स्लों की ज़कात निकालने के बारे में दारुल इफ़्ता अहले सुन्नत से ज़रूर शरई़ रहनुमाई ह़ासिल करें ।

          اَلْحَمْدُ لِلّٰہ मजलिसे उ़श्र व अत़राफ़ गांव का मदनी काम तेज़ी के साथ तरक़्क़ी की त़रफ़ जानिबे मदीना रवां दवां है, अब तक तक़रीबन 15 हज़ार गांव में मदनी काम शुरूअ़ हो चुका है और इन 15 हज़ार गांव के ज़िम्मेदारान को मज़ीद 15 हज़ार गांव में मदनी काम करने का हदफ़ दिया गया है । इस वक़्त मुल्के मुर्शिद के तक़रीबन 15 हज़ार गांव / गोठों पर मुश्तमिल 24 अत़राफ़ काबीनात, 105 अत़राफ़ काबीना, तक़रीबन 873 अत़राफ़ डिवीज़न और 2182 अत़राफ़ अ़लाके़ बन चुके हैं जिन में सैंक्ड़ों ज़िम्मेदारान का तक़र्रुर भी हो चुका है । उ़श्र की वुसूली के साथ साथ बिल ख़ुसूस 12 मदनी कामों की मज़बूत़ी के लिये वक़्तन फ़-वक़्तन ज़िम्मेदारान के सुन्नतों भरे इजतिमाआ़त व मदनी मश्वरों का सिलसिला भी होता रहता है । बड़ी रातों मसलन (इजतिमाए़ मीलाद, इजतिमाए़ ग़ौसिय्या, शबे मे'राज, शबे बराअत, शबे क़द्र वग़ैरा) के मवाके़अ़ पर इजतिमाए़ ज़िक्रो ना'त का एहतिमाम भी किया जाता है, मुबल्लिग़ीने दा'वते इस्लामी के सुन्नतों भरे बयानात की तरकीब होती है, बिल ख़ुसूस माहे रमज़ानुल मुबारक में सुन्नत ए'तिकाफ़ का एहतिमाम किया जाता है जिस में आ़शिक़ाने रसूल दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल में होने वाले सुन्नत ए'तिकाफ़ में शिर्कत कर के ख़ूब इ़ल्मे दीन के क़ीमती मोती चुनने का शरफ़ पाने के साथ साथ मुख़्तलिफ़ मदनी कोर्सिज़ और मदनी क़ाफ़िलों में सफ़र की भी सआ़दत ह़ासिल करते हैं । अल्लाह करीम मजलिसे उ़श्र व अत़राफ़ गांव को मज़ीद बरकतें और तरक़्क़ियां नसीब फ़रमाए । اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

ग़ौसे आ'ज़म की तस्नीफ़ात

          मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! ह़ुज़ूरे ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने दीने इस्लाम की ख़िदमत और उम्मते मुस्लिमा की रहनुमाई के लिये कई किताबें तह़रीर फ़रमाईं । अ़ल्लामा अ़लाऊद्दीन बग़दादी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ अपने रिसाले "तज़किरए क़ादिरिय्या" में ह़ुज़ूरे ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की 7 किताबों के नाम तह़रीर फ़रमाने के बा'द फ़रमाते हैं : मो'तबर रिवायात से मा'लूम हुवा कि आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की लिखी गईं कुतुब की ता'दाद 69 है ।

(सीरते ग़ौसे आ'ज़म, स. 61, मुल्तक़त़न)