Ghous Pak Ka Ilmi Maqam

Book Name:Ghous Pak Ka Ilmi Maqam

          मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! आप ने सुना कि ह़ुज़ूरे ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ इ़ल्मे दीन सीखने वाले त़लबाए किराम पर कैसी शफ़्क़त फ़रमाया करते थे कि उन के लिये अपने घर से खाना भेजा करते थे । लिहाज़ा हमें भी चाहिये कि दीनी त़लबा की ज़रूरिय्यात का अपनी अपनी इस्तित़ाअ़त के मुत़ाबिक़ ख़ूब ख़ूब ख़याल रखा करें, मसलन जिन से बन पड़े, बिल ख़ुसूस ग़रीब त़लबाए किराम के लिये दीनी किताबें, कपड़े, मौसिम के लिह़ाज़ से रिहाइश की ज़रूरिय्यात पूरी करने में रिज़ाए इलाही और दीगर अच्छी अच्छी निय्यतों के साथ अपना ह़िस्सा मिला कर दीन की मदद करने वालों में शामिल हो जाएं, क्या मा'लूम कि इस नेक अ़मल की बरकत से हमारा पाक परवर दगार हम से हमेशा के लिये राज़ी हो जाए ! क्या मा'लूम कि इस नेक अ़मल की बरकत से हमें मग़फ़िरत का परवाना मिल जाए ! देखिये ! जिस त़रह़ हम अपने बच्चों को अच्छे से अच्छा खाना खिलाना पसन्द करते हैं, अच्छे से अच्छा लिबास पहने हुवे देखना पसन्द करते हैं, ज़रा सोचिये ! सर्दी के मौसिम में हम अपने बच्चों का कितना ख़याल करते हैं कि कहीं मेरे लाल को सर्दी न लग जाए, मेरे बेटे की त़बीअ़त तो ऐसी है कि न ही हल्की सी ठन्डी हवा बरदाश्त कर सकता है, न ही गर्म हवा का हल्का सा झोंका । इसी त़रह़ इ़ल्मे दीन ह़ासिल करने वाले त़लबाए किराम के लिये भी ग़ौर करें कि उन को भी कई बुन्यादी ज़रूरिय्याते ज़िन्दगी की ज़रूरत होगी जो कि हर जगह आसानी से दस्तयाब न होती होंगी । आज हम जिन की बड़ी ग्यारहवीं शरीफ़ मना रहे हैं, वोह दीनी त़लबा की कमज़ोरियों को नज़र अन्दाज़ फ़रमा दिया करते थे । जैसा कि :

          ह़ज़रते सय्यिदुना शैख़ अह़मद बिन मुबारक رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ फ़रमाते हैं : आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के पास एक ग़ैरे अ़रबी त़ालिबे इ़ल्म था, बहुत ही मुश्किल से कोई चीज़ उसे समझ आती थी । एक दफ़्आ़ वोह त़ालिबे इ़ल्म आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के पास बैठा सबक़ पढ़ रहा था कि एक शख़्स ह़ुज़ूरे ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की ज़ियारत के लिये ह़ाज़िर हुवा । जब उस ने उस त़ालिबे इ़ल्म की दिमाग़ी कमज़ोरी और आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ का उस की ह़ालत पर सब्र व बरदाश्त देखा, तो उसे बहुत तअ़ज्जुब हुवा । जब वोह त़ालिबे इ़ल्म वहां से उठ कर चला गया, तो उस ने अ़र्ज़ किया : इस त़ालिबे इ़ल्म की दिमाग़ी कमज़ोरी और आप के सब्र पर मुझे ह़ैरत है । आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने फ़रमाया : मेरी मेह़नत इस के साथ बस एक हफ़्ते से भी कम है क्यूंकि इस त़ालिबे इ़ल्म का इन्तिक़ाल हो जाएगा । ह़ज़रते सय्यिदुना अह़मद बिन मुबारक رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ फ़रमाते हैं : उस दिन से हम ने उस त़ालिबे इ़ल्म के दिन गिनना शुरूअ़ कर दिये और जब एक हफ़्ता पूरा होने को आया, तो आख़िरी दिन वाके़ई़ उस का इन्तिक़ाल हो गया । (قلائد الجواہر ص ۸  ملخصاً)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

फ़तवा नवेसी के बादशाह

          मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! यूं तो ह़ुज़ूरे ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ दर्सो तदरीस, तस्नीफ़ो तालीफ़, तह़रीर, नेकी की दा'वत और इस के इ़लावा मुख़्तलिफ़ इ़ल्मी शो'बों में इन्तिहाई महारत रखते थे मगर ख़ास त़ौर पर फ़तवा लिखने में तो आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ को