Book Name:Ghous Pak Ka Ilmi Maqam
लिये ह़ाज़िर होते रहे । आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ इ़ल्मो अ़मल के ऐसे पैकर थे कि जो भी आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के पास इ़ल्म ह़ासिल करने के लिये ह़ाज़िर होता, वोह ख़ाली हाथ न लौटता था । आइये ! आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के इ़ल्मो अ़मल और दर्सो तदरीस की ख़ूबियों और इ़ल्मी ख़िदमात के बारे में सुनते हैं । चुनान्चे,
ह़ज़रते सय्यिदुना क़ाज़ी अबू सई़द मुबारक رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ का बग़दाद में एक मद्रसा था, वोह उस में इस्लाह़ी बयानात करते और इ़ल्मे दीन ह़ासिल करने वालों को इ़ल्म सिखाया करते थे । जब क़ाज़ी साह़िब رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ को आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के इ़ल्मी व अ़मली कमालात का इ़ल्म हुवा, तो क़ाज़ी साह़िब رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने अपना मद्रसा आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के ह़वाले कर दिया फिर जब लोगों ने आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की इ़ल्मी महारत का ज़िक्र सुना, तो लोगों की कसीर ता'दाद आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की बारगाह में इ़ल्मे दीन ह़ासिल करने के लिये ह़ाज़िर होने लगी । (सीरते ग़ौसे आ'ज़म, स. 58, मुलख़्ख़सन)
ह़ज़रते अ़ल्लामा नूरुद्दीन अबुल ह़सन अ़ली शत़नूफ़ी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ फ़रमाते हैं : ह़ज़रते सय्यिदुना शैख़ अ़ब्दुल क़ादिर जीलानी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ तेरह उ़लूम में बयान फ़रमाया करते थे, आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के मद्रसे में लोग आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ से तफ़्सीर, ह़दीस, फ़िक़्ह और इ़ल्मुल कलाम वग़ैरा पढ़ते थे, दोपहर से पहले और बा'द दोनों वक़्त लोगों को तफ़्सीर, ह़दीस, फ़िक़्ह, कलाम, उसूल और नह़व पढ़ाते थे और ज़ोहर के बा'द आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ तज्वीदो क़िराअत के साथ क़ुरआने करीम पढ़ाया करते थे । (بہجۃالاسرار، ص۲۲۵ ملخصاً)
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! आप ने सुना कि ह़ुज़ूरे ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ इ़ल्मो अ़मल के पैकर और ज़बरदस्त ह़ुस्ने अख़्लाक़ के मालिक थे, आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ त़लबा पर भी इन्तिहाई शफ़्क़त फ़रमाते और उन की छोटी छोटी ज़रूरिय्यात का भी ख़याल रखते थे । जैसा कि :
त़ालिबे इ़ल्म की राहे इ़ल्म में मदद
इमाम इब्ने क़ुदामा ह़म्बली رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की बारगाह में ह़ज़रते सय्यिदुना ग़ौसुल आ'ज़म, शैख़ अ़ब्दुल क़ादिर जीलानी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के बारे में सुवाल किया गया, तो आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने जवाब दिया : हम ने आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की उ़म्र का आख़िरी ह़िस्सा पाया और आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के मद्रसे में मुक़ीम रहे, हमारा इस त़रह़ ख़याल रखा जाता कि कभी ग़ौसे आ'ज़म رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ अपने शहज़ादे, ह़ज़रते यह़या رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ को हमारी जानिब भेजते, वोह हमारे लिये चराग़ जलाते और आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ हमारे लिये अपने घर से खाना भेजते । (( سیر اعلام النبلاء،الشیخ عبد القادربن ابی صالح ،۱۵/۱۸۳