Book Name:Ghous Pak Ka Ilmi Maqam
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! اَلْحَمْدُ لِلّٰہ माहे रबीउ़ल आख़िर जारी है । येह वोह माहे मुबारक है कि जिस की 11 तारीख़ क़ुत़्बे रब्बानी, ग़ौसे समदानी, क़िन्दीले नूरानी, शहबाज़े ला मकानी, ह़ज़रते सय्यिदुना शैख़ अ़ब्दुल क़ादिर जीलानी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ का उ़र्से मुबारक मनाया जाता है, जिस को आ़शिक़ाने ग़ौस "बड़ी ग्यारहवीं शरीफ़" भी कहते हैं, इसी मुनासबत से आज हम सरज़मीने बग़दाद पर अपने मज़ारे पुर अन्वार में आराम फ़रमा उस मुक़द्दस हस्ती का ज़िक्रे ख़ैर, बिल ख़ुसूस उन का इ़ल्मी मक़ाम सुनेंगे जिन्हें दुन्या "ग़ौसे आ'ज़म" (رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ) के लक़ब से जानती है । अल्लाह पाक ने आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ को विलायत का वोह अ़ज़ीम ताज अ़त़ा फ़रमाया कि आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ तमाम औलिया رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن के सरदार क़रार पाए । आइये ! सब से पहले ह़ुज़ूरे ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की इ़ल्मी शानो शौकत से मुतअ़ल्लिक़ एक ईमान अफ़रोज़ वाक़िआ़ सुनते हैं । चुनान्चे,
ह़ज़रते सय्यिदुना ह़ाफ़िज़ अबुल अ़ब्बास अह़मद رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ फ़रमाते हैं : मैं अ़ल्लामा इब्ने जौज़ी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के साथ एक मरतबा ह़ुज़ूरे ग़ौसे पाक
رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के इजतिमाए़ ग़ौसिय्या में ह़ाज़िर हुवा, एक क़ारी ने क़ुरआने करीम की तिलावत की, तिलावत के बा'द ह़ुज़ूरे ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने बयान का आग़ाज़ किया और तिलावत की गई आयाते मुबारका में से एक आयत की तफ़्सीर बयान करते हुवे आयत का एक मा'ना बयान फ़रमाया । मैं ने अ़ल्लामा इब्ने जौज़ी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ से पूछा : क्या आप को इस तफ़्सीर का इ़ल्म था ? उन्हों ने जवाब दिया : हां ! मुझे येह तफ़्सीरी क़ौल मा'लूम था । इस के बा'द ह़ुज़ूरे ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने एक एक कर के ग्यारह तफ़्सीरी अक़्वाल ज़िक्र फ़रमाए, मेरे पूछने पर हर बार अ़ल्लामा इब्ने जौज़ी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ फ़रमाते रहे कि येह तफ़्सीरी क़ौल भी मुझे मा'लूम था । ह़ाफ़िज़ अबुल अ़ब्बास رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ फ़रमाते हैं : ह़ुज़ूरे ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने उस एक आयते मुबारका के चालीस तफ़्सीरी अक़्वाल बयान फ़रमाए और हर हर क़ौल के क़ाइल का नाम भी बयान फ़रमाया मगर ग्यारह तफ़्सीरों के बा'द से हर तफ़्सीर के बारे में मेरे पूछने पर अ़ल्लामा इब्ने जौज़ी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ नफ़ी में सर हिलाते हुवे कहते रहे कि येह तफ़्सीर मेरे इ़ल्म में नहीं ।
(اخبارالاخیار ،ص۱ ۱،بہجۃ الاسرار،ذکر علمہ …الخ،ص ۲۲۴،ذبدۃ الاثار،ص ۵۲)
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! इस वाक़िए़ से ह़ुज़ूरे ग़ौसे आ'ज़म رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के इ़ल्मी मक़ामो मर्तबे की बुलन्दी का बख़ूबी अन्दाज़ा लगाया जा सकता है कि आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने एक ही वक़्त में एक आयते मुबारका की चालीस तफ़्सीरें बयान फ़रमाईं, जिन में से उन्तीस तफ़्सीरें अ़ल्लामा इब्ने जौज़ी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के इ़ल्म में भी न थीं, ह़ालांकि अ़ल्लामा इब्ने जौज़ी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ वक़्त के बहुत बड़े आ़लिम व इमाम थे । आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने इ़ल्मे क़ुरआन, इ़ल्मे ह़दीस, इ़ल्मे फ़िक़्ह, जुग़्राफ़िया, इ़ल्मे त़िब्ब, तारीख़, तफ़्सीर, इ़ल्मे नुजूम, ह़िसाब, लुग़त और नह़व वग़ैरा के इ़लावा दीगर बहुत से उ़लूमो फ़ुनून में भी क़ाबिले क़द्र किताबें तस्नीफ़ फ़रमाईं हैं । आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की तसानीफ़ की ता'दाद तीन