Book Name:Ghous Pak Ka Ilmi Maqam
कन्ज़ुल इ़रफ़ान : तो बेशक दुश्वारी के साथ आसानी है, बेशक दुश्वारी के साथ आसानी है) और जब इन आयात की तिलावत के बा'द सर उठाता, तो सारी तक्लीफे़ं दूर हो जातीं और मुझे सुकून व इत़मीनान मह़सूस होता । (قلائد الجواہر ص۰ ۱)
ह़ज़रते सय्यिदुना शैख़ अ़ब्दुल क़ादिर जीलानी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के इ़ल्मे दीन ह़ासिल करने का अन्दाज़ बड़ा निराला था । आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ फ़रमाते हैं : मैं अपने त़ालिबे इ़ल्मी के ज़माने में असातिज़ा से सबक़ ले कर जंगल की त़रफ़ निकल जाया करता था फिर सह़राओं और वीरानों में दिन हो या रात, आंधी हो या बहुत तेज़ बारिश, गर्मी हो या सर्दी, अपना मुत़ालआ़ जारी रखता था, उस वक़्त मैं अपने सर पर एक छोटा सा इ़मामा बांधता और मा'मूली तरकारियां खा कर पेट की आग बुझाया करता, कभी कभी येह तरकारियां भी हाथ न आतीं क्यूंकि भूक के मारे हुवे दूसरे फ़ुक़रा भी उधर का रुख़ कर लिया करते थे, ऐसे मवाके़अ़ पर मुझे शर्म आती थी कि मैं उन की दिल आज़ारी करूं, मजबूरन वहां से चला जाता और अपना मुत़ालआ़ जारी रखता फिर नींद आती, तो ख़ाली पेट ही कंकरियों से भरी हुई ज़मीन पर सो जाता । (قلائد الجواہر، ص۱۰ملخصاً)
दिलवाइये जन्नत ग़ौसे पाक दो बदियों से नफ़रत ग़ौसे पाक
दो शौके़ इ़बादत ग़ौसे पाक सरकार की उल्फ़त ग़ौसे पाक
٭ मरह़बा या ग़ौसे पाक ٭ मरह़बा या ग़ौसे पाक ٭ मरह़बा या ग़ौसे पाक
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! ज़रा ग़ौर फ़रमाइये ! इतनी मशक़्क़तों और तकालीफ़ को बरदाश्त करते हुवे आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने इ़ल्मे दीन ह़ासिल किया, इस के बा वुजूद कभी भी आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की ज़बाने मुबारक से कोई शिक्वा व शिकायत के अल्फ़ाज़ न निकले । इस वाक़िए़ से हमें येह क़ीमती बग़दादी फूल मिलते हैं कि जब कोई मुसीबत व परेशानी आ जाए, तो क़ुरआनो ह़दीस में बयान किये गए सब्र के फ़ज़ाइल और तरग़ीबात को पेशे नज़र रखते हुवे सब्र से काम लेना चाहिये और येह बात ज़ेहन नशीन रखनी चाहिये कि येह दुन्या आज़माइशों का घर है, इस में जहां बे शुमार राह़त सामानियां हैं, वहां रन्जो ग़म के पहाड़ भी हैं, आसानियों के साथ साथ मुश्किल तरीन घाटियां भी हैं । येही वज्ह है कि जब से इन्सानिय्यत वुजूद में आई है, उस वक़्त से आज तक आ़म मोमिनीन बल्कि नबियों और रसूलों عَلَیْہِمُ السَّلَام और औलियाए कामिलीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن को भी सुकून और ख़ुशियां मिलने के साथ साथ त़रह़ त़रह़ की आज़माइशें और मुसीबतें पहुंचती रहीं बल्कि बसा अवक़ात अल्लाह पाक के मुक़र्रब बन्दों को आसानियों के बजाए मुश्किलात का ज़ियादा सामना करना पड़ता है मगर वोह पाक हस्तियां ह़र्फे़ शिकायत ज़बान पर लाने के बजाए हमेशा सब्रो तह़म्मुल के साथ आज़माइशों को बरदाश्त करते हैं बल्कि अपने मुरीदों, मह़ब्बत करने और तअ़ल्लुक़ रखने वालों की भी मदनी तरबिय्यत फ़रमाते हैं । लिहाज़ा हमें