Ghous Pak Ka Ilmi Maqam

Book Name:Ghous Pak Ka Ilmi Maqam

सौ से ज़ियादा बताई जाती है, जिन में कईं तो कई कई जिल्दों पर मुश्तमिल हैं और कुछ रिसाले भी शामिल हैं ।

(मुक़द्दमा : उ़यूनुल ह़िकायात, ह़िस्सा 1, स. 16, मुल्तक़त़न व मुलख़्ख़सन)

          इमाम इब्ने क़ुदामा ह़म्बली رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ फ़रमाते हैं : इमाम इब्ने जौज़ी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ अपने ज़माने में ख़ित़ाबत के इमाम थे, मुख़्तलिफ़ उ़लूमो फ़ुनून में बेहतरीन किताबें तस्नीफ़ फ़रमाईं, तदरीस भी करते थे और ह़ाफ़िज़ुल ह़दीस भी थे (एक लाख अह़ादीसे मुबारका सनद के साथ याद करने वाला "ह़ाफ़िज़ुल ह़दीस" होता है) । (मुक़द्दमा : आंसूओं का दरया, स. 15) वक़्त के इतने बड़े इमाम होने के बा वुजूद अ़ल्लामा इब्ने जौज़ी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ, ह़ुज़ूरे ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के बयान कर्दा चालीस तफ़्सीरी अक़्वाल में से सिर्फ़ ग्यारह के बारे में जानते थे, जिस से ह़ुज़ूरे ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के इ़ल्मी समुन्दर की गहराई का अन्दाज़ा लगाया जा सकता है ।

सुल्त़ाने विलायत ग़ौसे पाक                       दरयाए करामत ग़ौसे पाक

वलियों पे ह़ुकूमत ग़ौसे पाक                       फ़रमाओ ह़िमायत ग़ौसे पाक

٭ मरह़बा या ग़ौसे पाक ٭ मरह़बा या ग़ौसे पाक ٭ मरह़बा या ग़ौसे पाक

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

सरकार صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की बिशारत

        मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! ग़ौसे समदानी, शहबाज़े ला मकानी, क़िन्दीले नूरानी, ह़ज़रते सय्यिदुना शैख़ अ़ब्दुल क़ादिर जीलानी, ह़सनी, ह़ुसैनी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ यकुम रमज़ान बरोज़ जुमुअ़तुल मुबारक सिने 470 हिजरी को बग़दाद शरीफ़ के क़रीब क़स्बा "जीलान" में पैदा हुवे । (بہجۃ الاسرار،ص۱۷۱بتغیر قلیل)

मक्तबतुल मदीना की किताब "ग़ौसे पाक के ह़ालात" सफ़ह़ा 21 पर है : मह़बूबे सुब्ह़ानी, शैख़ अ़ब्दुल क़ादिर जीलानी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के वालिदे माजिद, ह़ज़रते सय्यिद अबू सालेह़ मूसा जंगी दोस्त رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने ह़ुज़ूरे ग़ौसे आ'ज़म رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की विलादत की रात देखा कि सरवरे काइनात, फ़ख्रे़ मौजूदात صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ सह़ाबए किराम और औलियाए इ़ज़्ज़ाम رِضْوَانُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن के साथ उन के घर जल्वा अफ़रोज़ हुवे और उन्हें इस बिशारत से नवाज़ा : ऐ अबू सालेह़ ! अल्लाह पाक ने तुम को ऐसा बेटा अ़त़ा फ़रमाया है जो वली है, वोह मेरा और अल्लाह पाक का मह़बूब है और उस की शान औलिया और अक़्त़ाब (رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن) में वैसी ही होगी जैसी शान अम्बिया व मुर्सलीन عَلَیْہِمُ السَّلَام में मेरी है । (सीरते ग़ौसुस्सक़लैन, स. 55, ब ह़वाला : تفریح الخاطر)

फ़ानूसे हिदायत ग़ौसे पाक             सरतापा शराफ़त ग़ौसे पाक

सरताजे शरीअ़त ग़ौसे पाक             हैं मख़्ज़ने अ़ज़मत ग़ौसे पाक

٭ मरह़बा या ग़ौसे पाक ٭ मरह़बा या ग़ौसे पाक ٭ मरह़बा या ग़ौसे पाक

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد