Ghous Pak Ka Ilmi Maqam

Book Name:Ghous Pak Ka Ilmi Maqam

ग़ौसे आ'ज़म का मक़ामो मर्तबा

        शैख़ इमाम अबू अ़ब्दुल्लाह बिन अह़मद बिन क़ुदामा رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ फ़रमाते हैं : शैख़ुल इस्लाम, सुल्त़ानुल औलिया, मुह़्युद्दीन, सय्यिद अ़ब्दुल क़ादिर जीलानी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने इ़ल्म को ह़ासिल करने में बहुत कोशिशें कीं । आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने बहुत से उ़लमाए वक़्त और ज़माने के मश्हूर बुज़ुर्गों से इ़ल्म ह़ासिल किया और उन की सोह़बतों में रहे, जिस का नतीजा येह निकला कि आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ अपने ज़माने के उ़लमा में सब से बड़े मर्तबे पर पहुंच गए । इ़ल्म ह़ासिल करने के लिये आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने बहुत सी मशक़्क़तें और आज़माइशें बरदाश्त कीं, आख़िरे कार आप दुन्यवी मुआ़मलात से अलग हो कर यादे इलाही और नेकी की दा'वत देने में मश्ग़ूल हो गए । ज़माने भर में आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की शोहरत फैल गई, दीन के मन्सब आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की वज्ह से ज़ाहिर हो गए, इ़ल्म के दरजे आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के सबब बुलन्द होने लगे और शरीअ़त के लश्कर आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के सबब त़ाक़त पाने लगे । उ़लमा की बहुत बड़ी ता'दाद ने आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की त़रफ़ रुजूअ़ किया और आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ से शागिर्दी का शरफ़ ह़ासिल किया, बहुत से फ़ुक़रा, बड़े बड़े उ़लमा ने भी आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ से ख़िलाफ़त ह़ासिल करने का ए'ज़ाज़ ह़ासिल किया । (نزہۃ الخاطرالفاتر ، ص۱۹،۲۰ملخصاً)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

इ़ल्मी मक़ाम

          ह़ज़रते सय्यिदुना शैख़ मुह़म्मद बिन यह़या तादफ़ी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ फ़रमाते हैं : जब आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने इ़ल्मे दीन ह़ासिल कर लिया, तो आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ दर्सो तदरीस और फ़तवा देने के मन्सब पर जल्वा अफ़रोज़ हुवे, इस के साथ साथ लोगों को नेकी की दा'वत देने और इ़ल्मो अ़मल को आ़म करने में मसरूफ़ हो गए । चुनान्चे, दुन्या भर से उ़लमा, आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की बारगाह में इ़ल्मे दीन सीखने के लिये ह़ाज़िर होते, उस वक़्त बग़दाद में आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के मर्तबे का कोई न था । (قلائد الجواہر ص ۵ملخصاً) आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ इ़ल्म का समुन्दर थे, आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ को इ़ल्मे फ़िक़्ह, इ़ल्मे ह़दीस, इ़ल्मे तफ़्सीर, इ़ल्मे नह़व और इ़ल्मे अदब वग़ैरा उ़लूम पर मुकम्मल महारत  ह़ासिल थी । जब आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ को आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के उस्तादों ने इ़ल्मे ह़दीस की सनद दी, तो फ़रमाने लगे : ऐ अ़ब्दुल क़ादिर ! अल्फ़ाज़े ह़दीस की सनद तो हम आप को दे रहें हैं लेकिन ह़क़ीक़त येह है कि ह़दीस के मआ़नी व मफ़्हूम का समझना तो हम ने आप ही से सीखा है । (حیات المعظم فی مناقب    غوث اعظم ص ۴۶ بتغیر قلیل)

          मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! ह़ुज़ूरे ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ को इ़ल्मे दीन के फैलाने का इस क़दर ज़ौक़ो शौक़ था कि आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ अपना वक़्त बिल्कुल ज़ाएअ़ नहीं फ़रमाते थे और इ़ल्मी कामों ही में अक्सर मसरूफ़ रहते, दूसरे शहरों के त़लबा भी आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की ता'रीफ़ात और उ़लूमो फ़ुनून में महारत के चर्चे सुन कर आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की ख़िदमत में इ़ल्मे दीन ह़ासिल करने और आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के फै़ज़ से बरकतें लूटने के