Ghous Pak Ka Ilmi Maqam

Book Name:Ghous Pak Ka Ilmi Maqam

वोह कमाल ह़ासिल था कि उस दौर के बड़े बड़े उ़लमा, फ़ुक़हा और मुफ़्तियाने किराम رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن भी आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के ला जवाब फ़तवों से ह़ैरान रह जाते थे । जैसा कि :

          शैख़ इमाम मुवफ़्फ़क़ुद्दीन बिन क़ुदामा رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ फ़रमाते हैं : हम 561 हिजरी में बग़दाद शरीफ़ गए, तो हम ने देखा कि शैख़ सय्यिद अ़ब्दुल क़ादिर जीलानी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ उन में से हैं कि जिन को वहां पर इ़ल्मो अ़मल और फ़तवा लिखने की बादशाहत दी गई है । (بہجۃالاسرار،ص۲۲۵) आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की इ़ल्मी महारत का येह आ़लम था कि अगर आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ से इन्तिहाई मुश्किल मसाइल भी पूछे जाते, तो आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ उन मसाइल का निहायत आसान जवाब देते । आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने दर्सो तदरीस और फ़तवा लिखने में तक़रीबन 33 साल दीने मतीन की ख़िदमत सर अन्जाम दी, इस दौरान जब आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के फ़तावा उ़लमाए इ़राक़ के पास लाए जाते, तो वोह आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के जवाब पर ह़ैरत ज़दा रह जाते । इमाम अबू या'ला नजमुद्दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ फ़रमाते हैं : ह़ज़रते शैख़ अ़ब्दुल क़ादिर जीलानी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ इ़राक़ में फ़तवा के लिह़ाज़ से बहुत मश्हूर थे और लोग फ़तावा के लिये आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की त़रफ़ रुजूअ़ करते थे । (بہجۃالاسرار ص ۲۲۵ملتقطا و ملخصاً)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

          मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! ह़ुज़ूरे ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की इ़ल्मी मसरूफ़िय्यात से येह बात अच्छी त़रह़ मा'लूम होती है कि आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने अपनी सारी ज़िन्दगी इ़ल्मे दीन ह़ासिल करने और उसे फैलाने में गुज़ार दी, लिहाज़ा हमें भी चाहिये कि ह़ुज़ूरे ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के मिशन पर चलते हुवे अपने दिल में इ़ल्मे दीन ह़ासिल करने का शौक़ पैदा करें और इस के ज़रीए़ अपनी और सारी दुन्या के लोगों की इस्लाह़ की कोशिश करें ।

याद रखिये ! इ़ल्मे दीन इन्सान को मुआ़शरे का अच्छा फ़र्द बनाता है । इ़ल्मे दीन ही की वज्ह से मख़्लूके़ ख़ुदा उस बन्दे से मह़ब्बत करने लगती है । इ़ल्म ही की वज्ह से इन्सान को इ़ज़्ज़त ह़ासिल होती है और इ़ल्म ही की वज्ह से इन्सान तक़्वा व परहेज़गारी इख़्तियार करता है । हमारे प्यारे आक़ा, मक्की मदनी मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इ़ल्मे दीन के फ़ज़ाइल बयान करते हुवे अपने ग़ुलामों को इ़ल्मे दीन ह़ासिल करने की तरग़ीब दिलाई है । आइये ! बत़ौरे तरग़ीब 4 फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ सुनते हैं :

1.      इरशाद फ़रमाया : जो शख़्स इ़ल्म की त़लब में किसी रस्ते पर चले, अल्लाह पाक उस के लिये जन्नत का रास्ता आसान कर देगा ।

(مسلم،کتاب الذکر والدعاء... الخ،باب فضل الاجتماع علی تلاوۃ القرآن...الخ، ص۱۴۴۷ حدیث: ۲۶۹۹)

2.      इरशाद फ़रमाया : जो शख़्स त़लबे इ़ल्म के लिये घर से निकला, तो जब तक वापस न हो, अल्लाह पाक के रस्ते में है ।

(ترمذی، کتاب العلم، باب فضل طلب العلم،۴/ ۲۹۴، حدیث:۲۶۵۶)