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Book Name:Ghous Pak Ka Ilmi Maqam

رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने सरे अक़्दस झुका लिया, उस वक़्त आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के सीनए मुबारक से एक ऐसा नूर निकला जिस को हर उस शख़्स ने देखा जिसे अल्लाह पाक ने दिखाना चाहा, वोह नूर गुज़रता हुवा जब हर आ़लिम के सीने पर पहुंचा, तो सब के सब ह़ैरत ज़दा हो कर तड़पने लगे फिर ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के मिम्बरे अक़्दस के पास ह़ाज़िर हुवे । आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने बारी बारी हर एक को सीने से लगाया और फ़रमाया : तुम्हारा सुवाल येह था और उस का जवाब येह है । यूंही एक एक कर के सब के मस्अले और उन के जवाबात इरशाद फ़रमा दिये । जब मजलिसे मुबारक ख़त्म हुई, तो मैं उन उ़लमा के पास गया और उन से पूछा कि येह क्या मुआ़मला है ? उन्हों ने अल्लाह पाक के एक कामिल व मक़्बूल वली को आज़माने का वबाल बयान करते हुवे बताया : जब हम वहां आ कर बैठे, तो एक दम सब कुछ ऐसे भूल गए जैसे हमें कुछ नहीं आता मगर जब ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने हमें अपने मुबारक सीने से लगाया, तो हम में से हर एक का इ़ल्म वापस आ गया और इस से भी ज़ियादा ह़ैरत अंगेज़ बात येह है कि ह़ुज़ूरे ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने हमारे सुवालात के वोह जवाबात इरशाद फ़रमाए जो पहले हमारे इ़ल्म में न थे । (قلائدُ الجواہر،ص ۳۳۔بہجۃ الاسرار   ذکر وعظہ ،ص۹۶)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

          मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने अपनी सारी ज़िन्दगी इ़ल्मे दीन की तरवीजो इशाअ़त में बसर फ़रमाई । हमें भी आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की सीरत पर चलते हुवे ह़ुसूले इ़ल्मे दीन में मश्ग़ूल हो जाना चाहिये । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ फ़ी ज़माना आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी ने हमारी आसानी के लिये इ़ल्मे दीन सीखने के बहुत से ज़रीए़ मुहय्या कर दिये हैं । मदनी मुन्नों और मदनी मुन्नियों की बेहतर ता'लीमो तरबिय्यत के लिये मदारिसुल मदीना, दारुल मदीना और दर्से निज़ामी (या'नी आ़लिम कोर्स) करने के ख़्वाहिश मन्द इस्लामी भाइयों और इस्लामी बहनों के लिये जामिआ़तुल मदीना क़ाइम हैं । इस के इ़लावा मुख़्तलिफ़ शो'बाजात से तअ़ल्लुक़ रखने वाले इस्लामी भाइयों की तरबिय्यत और उन में मज़ीद क़ाबिलिय्यत पैदा करने के लिये मुख़्तलिफ़ कोर्सिज़ भी कराए जाते हैं । उन में "7 दिन का इस्लाह़े आ'माल कोर्स" "7 दिन का 12 मदनी काम कोर्स" और "63 दिन का मदनी तरबिय्यती कोर्स" तो बहुत ही अहम्मिय्यत के ह़ामिल हैं । फ़र्ज़ उ़लूम सिखाने के लिये वक़्तन फ़-वक़्तन "12 दिन के फ़र्ज़ उ़लूम कोर्स" का भी एहतिमाम किया जाता है, जिस में मुफ़्तियाने किराम जदवल के मुत़ाबिक़ इस्लामी भाइयों को इन्तिहाई आसान अन्दाज़ में फ़र्ज़ उ़लूम पर मुश्तमिल मदनी फूलों से नवाज़ते हैं । चूंकि अब कमो बेश हर मोबाइल फ़ोन में मेमोरी कार्ड (Memory Card) लगाने की सहूलत होती है, लिहाज़ा दा'वते इस्लामी के इशाअ़ती इदारे मक्तबतुल मदीना ने ह़ुसूले इ़ल्म के त़लबगारों की आसानी के लिये इन फ़र्ज़ उ़लूम कोर्सिज़ की वीडियोज़ (Videos) को मेमोरी कार्डज़ (Memory Cards) में शाएअ़ कर दिया है ताकि मुसलमान ज़ियादा से ज़ियादा फ़ाइदा उठा सकें । आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के तह़त इन कोर्सिज़



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