Allah waloon ki Namaz

Book Name:Allah waloon ki Namaz

मेरे दिल में छुपे हुवे तमाम ख़यालात को जानता है, इस त़रह़ खड़ा होता हूं कि गोया पुल सिरात़ पर मेरे क़दम हैं और जन्नत मेरी दाईं

जानिब और जहन्नम मेरी बाईं जानिब और मलकुल मौत मेरे पीछे हैं और गोया येही नमाज़ मेरी ज़िन्दगी की आख़िरी नमाज़ है, इस के बा'द तक्बीरे तह़रीमा निहायत ही इख़्लास के साथ कहता हूं फिर इन्तिहाई तदब्बुर और ग़ौरो फ़िक्र के साथ क़िराअत करता हूं फिर निहायत ही तवाज़ोअ़ के साथ रुकूअ़ और गिड़गिड़ाते हुवे इन्केसारी के साथ सजदा करता हूं फिर इसी त़रह़ पूरी नमाज़ निहायत ही ख़ुज़ूअ़ व ख़ुशूअ़ के साथ अदा करता हूं । येह सुन कर ह़ज़रते आसिम رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने ह़ैरत के साथ पूछा कि ऐ ह़ातिमे असम رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ क्या वाके़ई़ आप हमेशा और हर वक़्त इसी त़रह़ से नमाज़ पढ़ते हैं ? तो आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने जवाब दिया कि जी हां ! तीस बरस से मैं हमेशा और हर वक़्त इसी त़रह़ हर नमाज़ अदा करता हूं । (روح البیان،۱/۳۳)

अवक़ात के अन्दर ही पढ़ूं सारी नमाज़ें

अल्लाह ! इ़बादत में मेरे दिल को लगा दे

(वसाइले बख़्शिश)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!                             صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

        मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! देखा आप ने कि हमारे बुज़ुर्गाने दीन किस क़दर ख़ुशूअ़ व ख़ुज़ूअ़, ज़ौक़ो शौक़ और