Book Name:Safr-e-Miraaj Or Ilm-e-Ghaib-e-Mustafa
को जो इ़ल्मे ग़ैब होता है, वोह अम्बियाए किराम عَلَیْھِمُ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام ही के वसीले और फै़ज़ से होता है । (روح البیان،پ۲۹،الجن:۲۶-۲۷، ۱۰/۲۰۱ ملخصاً)
इसी त़रह़ पारह 4, सूरए आले इ़मरान की आयत नम्बर 179 में ख़ुदाए पाक का इरशादे पाक है :
وَ مَا كَانَ اللّٰهُ لِیُطْلِعَكُمْ عَلَى الْغَیْبِ وَ لٰكِنَّ اللّٰهَ یَجْتَبِیْ مِنْ رُّسُلِهٖ مَنْ یَّشَآءُ ۪-(پ۴،اٰلِ عمران:۱۷۹)
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : और (ऐ आ़म लोगो !) अल्लाह तुम्हें ग़ैब पर मुत़्त़लअ़ नहीं करता, अलबत्ता अल्लाह अपने रसूलों को मुन्तख़ब फ़रमा लेता है जिन्हें पसन्द फ़रमाता है ।
सदरुल अफ़ाज़िल, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना सय्यिद मुफ़्ती मुह़म्मद नई़मुद्दीन मुरादाबादी رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ इस आयते मुबारका के तह़्त फ़रमाते हैं : (अल्लाह पाक) उन बरगुज़ीदा (पसन्दीदा) रसूलों عَلَیْھِمُ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام को ग़ैब का इ़ल्म देता है और सय्यिदे अम्बिया, ह़बीबे ख़ुदा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ रसूलों में सब से अफ़्ज़ल और आ'ला हैं । इस आयत से और इस के सिवा (इ़लावा) ब कसरत (कसरत से) आयात व अह़ादीस से साबित है कि अल्लाह पाक ने ह़ुज़ूर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को ग़ैब के उ़लूम अ़त़ा फ़रमाए और ग़ैब के उ़लूम आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का मो'जिज़ा हैं ।
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने अल्लाह पाक के अ़त़ा कर्दा इ़ल्म के ज़रीए़ कई मरतबा ग़ैब की ख़बरें अपने प्यारे सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان के सामने बयान फ़रमाईं । चुनान्चे,
ह़ज़रते बिलाल رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ के क़दमों की आहट
जन्नत की सैर के दौरान रसूले अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने किसी के क़दमों की आहट सुनी जिस के बारे में आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को बताया गया कि येह ह़ज़रते बिलाल رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ हैं । (مشكاة المصابيح كتاب المناقب، باب مناقب عمر، ۲/۴۱۸،حديث:۶۰۳۷)
क़ुरबान जाइये ! क्या शान है रसूले पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के मुअज़्ज़िन, ह़ज़रते सय्यिदुना बिलाले ह़ब्शी رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ की ! कि प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ