Book Name:Safr-e-Miraaj Or Ilm-e-Ghaib-e-Mustafa
उन के क़दमों की आवाज़ जन्नत में सुन रहे हैं । आप رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ को येह मक़ाम किस अ़मल के सबब ह़ासिल हुवा । आइये ! सुनिये । चुनान्चे,
ह़ज़रते सय्यिदुना अबू हुरैरा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ फ़रमाते हैं : (एक दफ़्आ़) रसूले करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़ज्र के वक़्त ह़ज़रते बिलाल رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ से फ़रमाया : ऐ बिलाल ! मुझे बताओ तुम ने इस्लाम में कौन सा ऐसा अ़मल किया है जिस पर सवाब की उम्मीद सब से ज़ियादा है क्यूंकि मैं ने जन्नत में अपने आगे तुम्हारे क़दमों की आहट सुनी है । अ़र्ज़ की : मैं ने (इस्लाम में) अपने नज़दीक कोई ऐसा काम नहीं किया, जिस से मैं फ़ाइदा मिलने की उम्मीद रखूं । हां ! मैं ने दिन रात की जिस घड़ी भी वुज़ू या ग़ुस्ल किया, तो उस क़दर नमाज़ पढ़ ली जो अल्लाह पाक ने मेरे मुक़द्दर में की थी । (مسلم،كتاب فضائل الصحابة، باب من فضائل بلال، ص۱۰۲۵،حديث:۲۴۵۸)
ह़कीमुल उम्मत, ह़ज़रते मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान नई़मी رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ ने इस ह़दीसे पाक का एक मा'ना येह भी बयान फ़रमाया है कि येह सब ह़ुज़ूर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने जिस्मानी मे'राज में मुलाह़ज़ा फ़रमाया था मगर येह सुवाल किसी और दिन फ़ज्र की नमाज़ के बा'द फ़रमाया । मज़ीद फ़रमाते हैं : ह़ज़रते बिलाल (رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ) का ह़ुज़ूर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ से आगे जन्नत में जाना ऐसा है जैसे नौकर चाकर बादशाहों के आगे चलते हैं । ख़याल रहे ! मे'राज की रात न तो ह़ज़रते बिलाल (رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ), ह़ुज़ूर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के साथ जन्नत में गए, न आप (رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ) को मे'राज हुई बल्कि ह़ुज़ूरे अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने उस रात वोह वाक़िआ़ मुलाह़ज़ा फ़रमाया जो क़ियामत के बा'द होगा कि सारी मख़्लूक़ में सब से पहले ह़ुज़ूर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ जन्नत में दाखिल होंगे इस त़रह़ कि ह़ज़रते बिलाल (رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ) ख़ादिमाना (या'नी ख़ादिम की) ह़ैसिय्यत से आगे आगे होंगे । इस से चन्द मस्अले मा'लूम हुवे : (1) एक येह कि अल्लाह पाक ने ह़ुज़ूर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को लोगों के अन्जाम पर ख़बरदार किया कि कौन जन्नती है और कौन दोज़ख़ी, कौन किस दरजे का जन्नती और किस दरजे का दोज़ख़ी है । (2) दूसरे येह कि ह़ुज़ूर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के कान और आंख लाखों बरस