Safr-e-Miraaj Or Ilm-e-Ghaib-e-Mustafa

Book Name:Safr-e-Miraaj Or Ilm-e-Ghaib-e-Mustafa

          سُبْحٰنَ اللہ ! क्या शान है हमारे प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ! कि ज़मीन पर रहते हुवे आसमान के ह़ालात बयान फ़रमा रहे हैं और जब आसमान पर थे, तो ज़मीन के ह़ालात से बा ख़बर थे । जैसा कि ह़ज़रते सय्यिदतुना आ़इशा सिद्दीक़ा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا फ़रमाती हैं : रसूलुल्लाह صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़रमाया : मैं जन्नत में दाख़िल हुवा, तो उस में क़िराअत सुनी । मैं ने पूछा : येह कौन है ? फ़िरिश्तों ने अ़र्ज़ की : येह ह़ज़रते ह़ारिसा बिन नो'मान رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ हैं । (کتاب معرفۃ الصحابۃ،ذکر مناقب حارثۃ…الخ،۴/۲۱۶،حدیث:۴۹۸۲) इसी त़रह़ ह़ुज़ूरे अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने ह़ज़रते नुऐ़म बिन अ़ब्दुल्लाह नुह़्ह़ाम رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ की खांसी को जन्नत में सुना । (کتاب معرفۃ الصحابۃ،ذکر مناقب نعیم…الخ،۴/۲۸۹،حدیث:۵۱۷۷)

        मा'लूम हुवा ! ज़मीन पर रहते हुवे आसमान, जन्नत, अ़र्श और तमाम फ़िरिश्ते, ह़ुज़ूरे अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के सामने हैं और जन्नत में मौजूद हैं, तो ज़मीन के ह़ालात से बा ख़बर हैं ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! ऐसी प्यारी प्यारी बातें सुनने, सीखने, अपने दिल में इ़श्के़ रसूल का चराग़ रौशन करने और प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की सुन्नतों के मुत़ाबिक़ ज़िन्दगी गुज़ारने के लिये आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता हो जाइये ।

मजलिसे हफ़्तावार इजतिमाअ़

ऐ आ़शिक़ाने औलिया ! اَلْحَمْدُ لِلّٰہ आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी दुन्या भर में कमो बेश 107 शो'बाजात में नेकी की दा'वत की धूमें मचा रही है, इन्ही में से एक शो'बा "मजलिसे हफ़्तावार इजतिमाअ़" भी है । मजलिसे हफ़्तावार इजतिमाअ़ उ़मूमन 3 से 5 अरकान पर मुश्तमिल होती है । येह मजलिस क़ारी व ना'त ख़्वां और मुबल्लिग़ का जदवल बनाती है, तिलावत व ना'त और बयान की पर्चियां बना कर मुतअ़ल्लिक़ा ज़िम्मेदार को कम अज़ कम 7 दिन पहले बताती है । इजतिमाअ़ गाह बिल ख़ुसूस दाख़िली