Safr-e-Miraaj Or Ilm-e-Ghaib-e-Mustafa

Book Name:Safr-e-Miraaj Or Ilm-e-Ghaib-e-Mustafa

अम्बियाए किराम عَلَیْھِمُ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام बांधा करते थे । बा'द में ह़ज़रते जिब्राईल عَلَیْہِ السَّلَام उसे मस्जिद के इह़ात़े में ले आए और अपनी उंगली के ज़रीए़ एक पथ्थर में सुराख़ कर के उस के साथ बांध दिया । (شرح زرقانى،المقصد الخامس...الخ، ٨/١٠٣، ملخصًا)

अम्बियाए किराम عَلَیْھِمُ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام की इमामत

          प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की बुलन्द शान के इज़्हार के लिये बैतुल मक़्दिस में तमाम अम्बियाए किराम عَلَیْھِمُ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام को जम्अ़ किया गया था । (نسائى، كتاب الصلاة، باب فرض الصلاة...الخ، ص٨١،حديث:٤٤٨) जब आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ यहां तशरीफ़ लाए, तो इन सब ह़ज़रात ने आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को देख कर ख़ुश आमदीद कहा और नमाज़ के वक़्त सब ने आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को इमामत के लिये आगे किया फिर ह़ज़रते जिब्राईल عَلَیْہِ السَّلَام ने दस्ते मुबारक पकड़ कर आगे बढ़ा दिया और आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने तमाम अम्बियाए किराम عَلَیْھِمُ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام की इमामत फ़रमाई । (معجم اوسط، باب العين، من اسمه على، ٣/٦٥،حديث:٣٨٧٩سيرة حلبية، باب ذكر الاسراء والمعراج...الخ، ١/٥٢٥)

        ह़ज़रते सय्यिदुना अ़ल्लामा बूसीरी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं :

وَقَدَّمَتْکَ جَمِیْعُ الْاَنْبِیَاءِ بِہَا

وَالرُّسُلِ   تَقْدِیْمَ   مَخْدُوْمٍ   عَلٰی   خَدَمِ

(قصيدة البردة مع شرحها عصيدة الشهدة، الفصل العاشر فى معراج...الخ، ص٢٤٠)

          या'नी बैतुल मक़्दिस में तमाम अम्बिया व रुसुल عَلَیْھِمُ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام ने आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को आगे किया, जैसे मख़्दूम अपने ख़ादिमों के आगे होता है ।

          سُبْحٰنَ اللہ ! क्या ख़ूब नमाज़ है कि तमाम अम्बिया और रुसुल عَلَیْھِمُ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام मुक़्तदी हैं, इमामुल अम्बिया صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ इमाम हैं और पहला क़िब्ला जाए नमाज़ है, यक़ीनन काइनात में ऐसी नमाज़ कभी नहीं हुई, आसमान ने ऐसा नज़्ज़ारा कभी नहीं देखा । बहर ह़ाल आज रसूले करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के अव्वल और आख़िर होने का राज़ भी खुल गया और मा'ना रोज़े रौशन की त़रह़ वाजे़ह़ हो गए क्यूंकि आज आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ जो कि सब से