Book Name:Safr-e-Miraaj Or Ilm-e-Ghaib-e-Mustafa
जब अन्वारे इलाही की बारिश हुई, तो एक दम इस की सूरत बदल गई और इस में रंग बिरंग के अन्वार की ऐसी तजल्ली (Rays Of Light) नज़र आई जिस की कैफ़िय्यतों को अल्फ़ाज़ में बयान नहीं किया जा सकता । यहां पहुंच कर ह़ज़रते जिब्रईल عَلَیْہِ السَّلَام येह कह कर ठहर गए कि अब इस से आगे मैं नहीं बढ़ सकता । फिर अल्लाह पाक ने आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को अ़र्श बल्कि अ़र्श के ऊपर जहां तक अल्लाह पाक ने चाहा बुला कर आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को फै़ज़याब फ़रमाया । (सीरते मुस्त़फ़ा, स. 733, 734)
क़ुरआने करीम में इस को इन अल्फ़ाज़ से बयान किया गया है । चुनान्चे, पारह 27, सूरतुन्नज्म की आयत नम्बर 8 और 9 में इरशाद होता है :
ثُمَّ دَنَا فَتَدَلّٰىۙ(۸) فَكَانَ قَابَ قَوْسَیْنِ اَوْ اَدْنٰىۚ(۹) (پ۲۷،النجم:۸-۹)
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : फिर वोह जल्वा क़रीब हुवा फिर और ज़ियादा क़रीब हो गया, तो दो कमानों के बराबर बल्कि इस से भी कम फ़ासिला रह गया ।
फिर वहां क्या हुवा ? येह हमारी अ़क़्ल की पहुंच से बाहर है फिर जब आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ अल्लाह पाक का दीदार कर के अच्छी त़रह़ सैर फ़रमा कर, अल्लाह पाक की रौशन निशानियों को देख कर ज़मीन पर तशरीफ़ लाए, बैतुल मक़्दिस में दाख़िल हुवे और बुराक़ पर सुवार हो कर मक्के शरीफ़ के लिये रवाना हुवे, तो रास्ते में आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने बैतुल मक़्दिस से मक्के शरीफ़ तक की तमाम मन्ज़िलों और क़ुरैश के क़ाफ़िलों को भी देखा । येह तमाम मन्ज़िलें त़ै होने के बा'द जब आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ मस्जिदे ह़राम में पहुंचे, तो चूंकि अभी रात का काफ़ी ह़िस्सा बाक़ी था, इस लिये आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ सो गए । (सीरते मुस्त़फ़ा, स. 735, मुलख़्ख़सन)
ख़ुदा की क़ुदरत कि चांद ह़क़ के, करोड़ों मन्ज़िल में जल्वा कर के
अभी न तारों की छांव बदली, कि नूर के तड़के आ लिये थे
(ह़दाइक़े बख़्शिश, स. 237)
कलामे रज़ा की वज़ाह़त : या'नी ख़ुदा की शान देखिये कि अल्लाह पाक के प्यारे ह़बीब صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ थोड़ी ही देर में करोड़ों मन्ज़िलों पर अपना जल्वा