Book Name:Safr-e-Miraaj Or Ilm-e-Ghaib-e-Mustafa
जिब्राईल عَلَیْہِ السَّلَام अ़र्ज़ गुज़ार हुवे : आप को मा'लूम है कि आप ने कहां नमाज़ पढ़ी है ? आप ने त़ूरे सीना (त़ूर से मुराद वोह पहाड़ है जो मिस्र और ऐला के दरमियान वाके़अ़ है जिस पर ह़ज़रते मूसा عَلَیْہِ السَّلَام को अल्लाह करीम से हम कलामी का शरफ़ मिला था और सीना के बारे में ह़ज़रते इ़करिमा رَضِیَ اللہُ عَنۡہُ का क़ौल है कि येह उस जगह का नाम है जहां त़ूर पहाड़ वाके़अ़ है । (تفسير المظهرى، سورة التين، تحت الآية:٢، ١٠/٢٧٣، ملتقطًا)) पर नमाज़ पढ़ी है जहां अल्लाह पाक ने ह़ज़रते मूसा عَلَیْہِ السَّلَام को हम कलामी का शरफ़ अ़त़ा फ़रमाया था । फिर एक और जगह ह़ज़रते जिब्राईल عَلَیْہِ السَّلَام ने आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को उतर कर नमाज़ पढ़ने के लिये कहा । आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने नमाज़ अदा फ़रमाई । इस के बा'द ह़ज़रते जिब्राईल عَلَیْہِ السَّلَام ने अ़र्ज़ किया : आप को मा'लूम है कि आप ने कहां नमाज़ पढ़ी है ? आप ने बैते लह़्म (येह जगह बैतुल मक़्दिस से जानिबे जुनूब छे मील के फ़ासिले पर वाके़अ़ है । (صورة الارض، القسم الاول، الشام، ص١٥٨)) में नमाज़ पढ़ी है जहां ह़ज़रते ई़सा عَلَیْہِ السَّلَام की विलादत हुई थी ।
(نسائی،كتاب الصلوة،باب فرض الصلوة...الخ،ص٨١،حديث:٤٤٨،بتغیرقلیل)
सफ़रे बैतुल मक़्दिस के चन्द मुशाहदात
क़ुदरत के अ़जाइबात का मुशाहदा फ़रमाते हुवे रसूले करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ बैतुल मक़्दिस की त़रफ़ रवां दवां थे कि रास्ते के किनारे एक बूढ़ी औ़रत खड़ी हुई देखी । आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने ह़ज़रते जिब्राईल عَلَیْہِ السَّلَام से पूछा : येह कौन है ? अ़र्ज़ किया : हु़ज़ूर बढ़े चलिये । आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ आगे बढ़ गए । फिर किसी ने आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को पुकार कर कहा : ہَلُمَّ یَامُحَمَّد या'नी ऐ मुह़म्मद (صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ) इधर आइये । लेकिन ह़ज़रते जिब्राईल عَلَیْہِ السَّلَام ने फिर वोही अ़र्ज़ की : हु़ज़ूर बढ़े चलिये । चुनान्चे, आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ रुके बिग़ैर आगे बढ़ गए फिर एक जमाअ़त पर गुज़र हुवा । उन्हों ने आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को सलाम अ़र्ज़ करते हुवे कहा : اَلسَّلَامُ عَلَیْکَ یَا اَوَّلُ، اَلسَّلَامُ عَلَیْکَ یَا آخِرُ، اَلسَّلَامُ عَلَیْکَ یَا حَاشِرُ ऐ अव्वल (صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ) आप पर सलामती हो, ऐ आख़िर (صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ) आप पर सलामती हो, ऐ ह़ाशिर (صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ) आप पर सलामती