Book Name:Safr-e-Miraaj Or Ilm-e-Ghaib-e-Mustafa
नहीं आती ? ख़ुदाए पाक की क़सम ! हु़ज़ूर अन्वर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ से ज़ियादा इ़ज़्ज़तो करामत वाली कोई हस्ती तुझ पर सुवार नहीं हुई । येह सुन कर बुराक़ ह़या के मारे पसीने पसीने हो गया और उछल कूद ख़त्म कर के पुर सुकून हो गया । (سيرة نبوية لابن هشام، ذكر الاسراء والمعراج، المجلد الاول، ٢/٣٥)
फिर रसूले पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ बुराक़ पर सुवार हुवे और इस शान से बैतुल मक़्दिस की त़रफ़ रवाना हुवे जैसा कि ह़ज़रते सय्यिदुना अ़ल्लामा बूसीरी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं :
سَرَیْتَ مِنْ حَرَمٍ لَیْلًا اِلٰی حَرَمٍ
کَمَا سَرَی الْبَدْرُ فِیْ دَاجٍ مِّنَ الظُّلُمِ
(قصيدة البردة مع شرحها عصيدة الشهدة، الفصل العاشر فى معراج...الخ، ص٢٣٧)
या'नी आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने मे'राज की शब ह़रमे का'बा से ह़रमे बैतुल मक़्दिस तक इस शान से सफ़र किया जैसे चौधवीं रात का चांद सख़्त अन्धेरी रात के अन्धेरों में नूर बिखेरता हुवा चलता है ।
इस नूरानी सफ़र में फ़िरिश्तों के सरदार ह़ज़रते सय्यिदुना जिब्रईले अमीन عَلَیْہِ السَّلَام भी आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के साथ थे ।
(صحيح البخارى، كتاب مناقب الانصار، باب المعراج، ص٩٧٦، الحديث:٣٨٨٧)
दौराने सफ़र एक मक़ाम पर ह़ज़रते जिब्राईल عَلَیْہِ السَّلَام ने रह़मते आ़लम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को उतर कर नमाज़ पढ़ने के लिये कहा । आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने नमाज़ अदा फ़रमाई । ह़ज़रते जिब्राईल عَلَیْہِ السَّلَام ने अ़र्ज़ की : आप को मा'लूम है कि आप ने किस जगह नमाज़ पढ़ी है ? आप ने त़यबा (या'नी मदीना शरीफ़) में नमाज़ पढ़ी है, इसी की त़रफ़ हिजरत होगी । फिर एक और मक़ाम पर ह़ज़रते जिब्राईल عَلَیْہِ السَّلَام ने आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को उतर कर नमाज़ पढ़ने के लिये कहा । आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने नमाज़ अदा फ़रमाई । ह़ज़रते