Book Name:Safr-e-Miraaj Or Ilm-e-Ghaib-e-Mustafa
हो । ह़ज़रते जिब्राईल عَلَیْہِ السَّلَام ने अ़र्ज़ की : हु़ज़ूर ! इन के सलाम के जवाब इ़नायत फ़रमाइये । आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने जवाब दिया । फिर एक दूसरी जमाअ़त पर गुज़र हुवा वहां भी ऐसे ही हुवा फिर तीसरी जमाअ़त पर गुज़र हुवा वहां भी ऐसे ही हुवा ।
बा'द में ह़ज़रते जिब्राईल عَلَیْہِ السَّلَام ने आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की बारगाह में अ़र्ज़ की : वोह बुढ़िया जिसे आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने रास्ते के किनारे खड़ी मुलाह़ज़ा फ़रमाया था वोह दुन्या थी, इस की सिर्फ़ इतनी उ़म्र बाक़ी रह गई है जितनी उस बुढ़िया की है । जिस ने आप (صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ) को अपनी त़रफ़ माइल करना चाहा था, वोह अल्लाह करीम का दुश्मन इब्लीस (या'नी शैत़ान) था, चाहता था कि आप (صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ) उस की त़रफ़ माइल हो जाएं और जिन्हों ने आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को सलाम अ़र्ज़ किया था वोह ह़ज़रते इब्राहीम, ह़ज़रते मूसा और ह़ज़रते ई़सा عَلَیْہِمُ السَّلَام थे ।
(دلائل النبوة للبيهقى، جماع ابواب المبعث، باب الدليل على...بالافق الاعلٰى، ٢/٣٦٢)
ह़ज़रते मूसा عَلَیْہِ السَّلَام नमाज़ में
मुस्लिम शरीफ़ की रिवायत में है : जब आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का गुज़र ह़ज़रते मूसा عَلَیْہِ السَّلَام की क़ब्रे मुबारक के पास से हुवा जो रेत के लाल टीले के पास वाके़अ़ है, तो वोह अपनी क़ब्र में खड़े नमाज़ पढ़ रहे थे ।
(مسلم، كتاب الفضائل، باب من فضائل...الخ، ص٩٢٧،حديث:٢٣٧٥)
इस त़रह़ इन अ़जाइबाते क़ुदरत को मुलाह़ज़ा फ़रमाते और अम्बियाए किराम عَلَیْھِمُ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام से मुलाक़ातें फ़रमाते रसूले अन्वर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ उस मुक़द्दस शहर में तशरीफ़ ले आए जहां मस्जिदे अक़्सा वाके़अ़ है, शहर में आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ उस के बाबे यमानी से दाख़िल हुवे फिर मस्जिद की जानिब चले । (سيرةحلبية، باب ذكر الاسراء والمعراج...الخ، ١/٥٢٣ ملتقطًا) और आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने बुराक़ को दरवाज़ए मस्जिद में मौजूद उस कड़े के साथ बांधा जिस से पहले के