Safr-e-Miraaj Or Ilm-e-Ghaib-e-Mustafa

Book Name:Safr-e-Miraaj Or Ilm-e-Ghaib-e-Mustafa

          ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना मुफ़्ती मुह़म्मद अमजद अ़ली आ'ज़मी رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ "बहारे शरीअ़त" में फ़रमाते हैं : अम्बिया عَلَیْھِمُ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام ग़ैब की ख़बर देने के लिये ही आते हैं कि जन्नत व नार या'नी जन्नत व दोज़ख़ व ह़श्र व नश्र व अ़ज़ाब व सवाब ग़ैब नहीं तो और क्या हैं ? उन का मन्सब ही येह है कि वोह बातें इरशाद फ़रमाएं जिन तक अ़क़्लो ह़वास की रसाई (पहुंच) नहीं और इसी का नाम "ग़ैब" है । (बहारे शरीअ़त, ह़िस्सा अव्वल, 1 / 46)

          शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत, बानिये दा'वते इस्लामी, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना अबू बिलाल मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी रज़वी ज़ियाई دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ अपने रिसाले "सियाह फ़ाम ग़ुलाम" के सफ़ह़ा नम्बर 17 पर इरशाद फ़रमाते हैं : रसूले अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ अपने रब्बे करीम की अ़त़ा से अपने ग़ुलामों की उ़म्रों से भी बा ख़बर (या'नी ख़बर रखने वाले) हैं और उन के साथ जो कुछ पेश होने वाला है, उसे भी जानते हैं । क़ुरआने पाक की बहुत सी आयाते मुबारका से सरकारे मदीना صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के इ़ल्मे ग़ैब का सुबूत मिलता है । चुनान्चे, पारह 30, सूरतुत्तक्वीर की आयत नम्बर 24 में अल्लाह पाक का इरशाद है :

وَ مَا هُوَ عَلَى الْغَیْبِ بِضَنِیْنٍۚ(۲۴)(پ۳۰،التکویر:۲۴)

तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : और येह नबी ग़ैब बताने पर हरगिज़ बख़ील नहीं ।

पारह 29, सूरतुल जिन्न की आयत नम्बर 26 और 27 में अल्लाह पाक का इरशाद है :

عٰلِمُ الْغَیْبِ فَلَا یُظْهِرُ عَلٰى غَیْبِهٖۤ اَحَدًاۙ(۲۶) اِلَّا مَنِ ارْتَضٰى مِنْ رَّسُوْلٍ(پ۲۹ ، الجن ، ۲۶، ۲۷)

तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : ग़ैब का जानने वाला अपने ग़ैब पर किसी को इत़्त़िलाअ़ नहीं देता, सिवाए अपने पसन्दीदा रसूलों के ।

          अ़ल्लामा इस्माई़ल ह़क़्क़ी رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ फ़रमाते हैं, मुफ़स्सिरीने किराम رَحْمَۃُاللّٰہِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن फ़रमाते हैं : अल्लाह पाक अपने मख़्सूस रसूलों عَلَیْھِمُ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام को ख़ास ग़ैब के इ़ल्म से नवाज़ता है । औलियाए किराम رَحْمَۃُاللّٰہِ تَعَالٰی عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن