Safr-e-Miraaj Or Ilm-e-Ghaib-e-Mustafa

Book Name:Safr-e-Miraaj Or Ilm-e-Ghaib-e-Mustafa

दिया गया, जब क़ाफ़िला पहुंच गया, तो सूरज भी ग़ुरूब हो गया । जब ह़ुज़ूरे अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की बताई गई बातों के बारे में क़ाफ़िले वालों से पूछा गया, तो उन्हों ने तमाम बातों की तस्दीक़ कर दी । नबिय्ये अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने जिस त़रह़ फ़रमाया था बिल्कुल उसी त़रह़ हुवा, आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के मो'जिज़ात के ज़ाहिर होने पर वोह लोग शर्मिन्दा हो गए लेकिन ईमान न लाए । (تحفۂ معراج النبی،ص ۵۰۶،مقالاتِ کاظمی،۱ /۱۵۳،خصائصِ کبری،۱/۳۶۹تا ۳۷۵،سیرۃ سید الانبیاء،ص۱۳۱،سبل الھدی والرشاد،۳/۹۳ملخصاً)

          ऐ आ़शिक़ाने औलिया ! बयान कर्दा वाक़िअ़ए मे'राज में जहां दीगर कई मदनी फूल अपनी ख़ुश्बू बिखेर रहे हैं, वहीं एक मदनी फूल येह भी मिला कि अल्लाह पाक ने अपने ह़बीब صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को इ़ल्मे ग़ैब की अ़ज़ीमुश्शान दौलत से नवाज़ा है । चुनान्चे,

आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के सफ़रे मे'राज से वापसी पर मक्के शरीफ़ के कुछ लोगों ने इम्तिह़ान के त़ौर पर जब आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ से बैतुल मक़्दिस और वहां के क़ाफ़िलों के बारे में पूछा, तो आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने अल्लाह पाक की अ़त़ा से उन के सारे सुवालों के बड़े ही शानदार अन्दाज़ में जवाबात इरशाद फ़रमाए । प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने उन लोगों के तिजारती क़ाफ़िलों की वापसी के भी ठीक ठीक अवक़ात बयान फ़रमा दिये, ह़ालांकि बैतुल मक़्दिस तशरीफ़ ले जाने की सच्चाई का क़ाफ़िलों की वापसी से कोई तअ़ल्लुक़ न था, या'नी अगर प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ क़ाफ़िलों की वापसी का वक़्त न बताते, तो इस की वज्ह से बैतुल मक़्दिस तशरीफ़ ले जाने पर ए'तिराज़ (Objection) नहीं किया जा सकता था मगर क़ुरबान जाइये ! प्यारे नबी (صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ) पर ! जिस बात का ए'तिराज़ करने वालों के शुकूको शुब्हात (Doubts) से कोई तअ़ल्लुक़ नहीं था वोह भी बयान फ़रमा दी, जो आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के इ़ल्मे ग़ैब पर बहुत बड़ी दलील है और येह एक ऐसी ह़क़ीक़त है जिस से इन्कार करना किसी त़रह़ भी मुमकिन नहीं क्यूंकि नबी का मन्सब ही ग़ैब की ख़बरें बताना है । जैसा कि :