Book Name:Safr-e-Miraaj Or Ilm-e-Ghaib-e-Mustafa
नाक़िस अ़क़्ल के घोड़े दौड़ा रहे थे और इस अ़ज़ीमुश्शान मो'जिज़े (Miracle) को झूटा साबित करने में मश्ग़ूल थे, लिहाज़ा बैतुल मक़्दिस की निशानियां पूछने और इस पर मुंह की खाने के बा वुजूद भी अपनी हट धर्मी से बाज़ न आए और इम्तिह़ान की ग़रज़ से उस क़ाफ़िले के बारे में सुवाल करने लगे जो मक्के शरीफ़ से तिजारत की ग़रज़ से शाम की जानिब गया था । चुनान्चे,
कुफ़्फ़ारे क़ुरैश ने कहा : आप हमें हमारे क़ाफ़िलों के बारे में बताइये कि क्या रस्ते में वोह क़ाफ़िले आप को मिले थे ? प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : मक़ामे रवह़ा में मेरा गुज़र फ़ुलां क़बीले के क़ाफ़िले पर हुवा था, उन लोगों का ऊंट गुम हो गया था और वोह उसे तलाश कर रहे थे । मैं उन के पड़े हुवे सामान की त़रफ़ आया, तो वहां कोई भी मौजूद न था, पानी का एक पियाला वहां रखा हुवा था, मैं ने उसे पी लिया और फिर उसे ढक दिया । अब वोह क़ाफ़िला बुध के दिन सूरज ग़ुरूब होते हुवे यहां पहुंच जाएगा फिर तुम लोग उस से पूछ लेना कि जब वोह अपना गुमशुदा ऊंट तलाश कर के वापस आए थे, तो उन्हों ने अपने भरे हुवे पियाले को पानी से ख़ाली पाया था या नहीं ? और येह भी पूछ लेना कि जब तुम ऊंट की तलाश में पेरशान थे, तो क्या तुम्हें किसी ने पुकार कर कहा था कि तुम्हारा ऊंट फ़ुलां जगह पर है, जिस पर तुम ह़ैरान हो कर कह रहे थे कि मुल्के शाम में येह मुह़म्मद (صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ) की आवाज़ कैसे आ गई ? मगर जब तुम ने उस आवाज़ के मुत़ाबिक़ उस मक़ाम पर जा कर देखा था, तो तुम्हें अपना ऊंट मिल गया था या नहीं ? क़ुरैश ने कहा : हां ! येह ठीक है कि येह बड़ी निशानी है ।
फिर ह़ुज़ूरे अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : फ़ुलां क़बीले के क़ाफ़िले पर भी मेरा गुज़र हुवा था जिन के दो आदमी एक ही ऊंट पर सुवार थे, उन का ऊंट, बुराक़ की तेज़ रफ़्तारी की वज्ह से बिदक कर भागा जिस की वज्ह से वोह दोनों सुवार गिर गए और उन में से फ़ुलां शख़्स की कलाई टूट गई है । अब बुध के दिन ठीक दोपहर को वोह क़ाफ़िला यहां पहुंच जाएगा फिर तुम