Safr-e-Miraaj Or Ilm-e-Ghaib-e-Mustafa

Book Name:Safr-e-Miraaj Or Ilm-e-Ghaib-e-Mustafa

          फ़रमाने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ है : मैं ने अपने रब को बेहतरीन सूरत में देखा (या'नी उस वक़्त मेरी अपनी सूरत बहुत अच्छी थी, न कि ख़ुदा की, जैसे कहा जाता है कि मैं अच्छे कपड़ों में ह़ाकिम से मिला, या'नी मुलाक़ात के वक़्त मेरे कपड़े अच्छे थे, वरना रब्बे करीम सूरत से पाक है । ख़याल रहे कि ह़ुज़ूरे अन्वर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का हम में आना बशरी या'नी इन्सानी सूरत में है और रब्बे करीम से मिलना नूरी सूरत में । इन्सान के घर का लिबास और होता है और कचेहरी का और, येह ग़ालिबन मे'राज के वाक़िए़ का ज़िक्र है । बा'ज़ ने ख़्वाब का दीदार बताया है मगर पहली बात ज़ियादा सह़ीह़ है, इस लिये दीदारे इलाही साबित हुवा । ह़क़ येह है कि ह़ुज़ूर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने सर की आंखों से रब्बे करीम का दीदार किया) ।

ह़ुज़ूरे अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ फ़रमाते हैं : अल्लाह पाक ने (मुझ से) पूछा : मुक़र्रब फ़िरिश्ते किस चीज़ में झगड़ते हैं ? (या'नी वोह कौन से आ'माल हैं जिन्हें ले जाने और बारगाहे इलाही में पेश करने में मुक़र्रब फ़िरिश्ते झगड़ते हैं । वोह कहता है : मैं ले जाऊं और येह कहता है : मैं (ले जाऊं)) । मैं ने अ़र्ज़ किया : मौला ! तू ही जाने । तो अल्लाह पाक ने अपना दस्ते क़ुदरत मेरे दोनों कन्धों के दरमियान रखा जिस की ठन्डक मैं ने अपने सीने में पाई (या'नी रब्बे करीम ने अपनी रह़मत के हाथ को मेरी पुश्त पर रखा और उस का फै़ज़ान मेरे सीने और दिल पर पहुंचा) तो जो कुछ आसमानों और ज़मीन में है, वोह सब मैं ने जान लिया । ( دارمی،کتاب الرؤیا،باب فی رؤیۃ…الخ، ۲/۱۷۰, मिरआतुल मनाजीह़, 1 / 446)

          ह़कीमुल उम्मत, ह़ज़रते मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान नई़मी رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : येह ह़दीस ह़ुज़ूरे अन्वर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के वुस्अ़ते इ़ल्म की खुली या'नी वाज़ेह़ दलील है । रब्बे करीम ने ह़ुज़ूर عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام को सातों आसमानों बल्कि ऊपर की तमाम चीज़ों और सातों ज़मीनों और उन के नीचे के ज़र्रे ज़र्रे और क़त़रे क़त़रे का इ़ल्म अ़त़ा फ़रमाया । ख़याल रहे ! अल्लाह पाक ने अपने ह़बीब (صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ) को गुज़श्ता या'नी गुज़री हुई, मौजूदा और ता क़ियामत या'नी क़ियामत तक होने वाली हर चीज़ का इ़ल्म दिया क्यूंकि ज़मीन