Book Name:Siddique-e-Akbar Ka Kirdar O Farameen
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! आइये ! शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के रिसाले "101 मदनी फूल" से हाथ मिलाने के चन्द मदनी फूल सुनते हैं : ٭ दो मुसलमानों का ब वक़्ते मुलाक़ात सलाम कर के दोनों हाथों से मुसाफ़ह़ा करना या'नी दोनों हाथ मिलाना सुन्नत है । ٭ जब दो दोस्त आपस में मिलते हैं और मुसाफ़ह़ा करते हैं और नबी (صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ) पर दुरूदे पाक पढ़ते हैं, तो उन दोनों के जुदा होने से पहले पहले दोनों के अगले पिछले गुनाह बख़्श दिये जाते हैं । (شعب الایمان،۶/۴۷۱، حدیث: ۸۹۴۴) ٭ हाथ मिलाते वक़्त दुरूद शरीफ़ पढ़ कर हो सके तो येह दुआ़ भी पढ़ लीजिये : یَغفِرُ اللہُ لَنَا وَ لَکُم (या'नी अल्लाह पाक हमारी और तुम्हारी मग़फ़िरत फ़रमाए) । ٭ दो मुसलमान हाथ मिलाने के दौरान जो दुआ़ मांगेंगे اِنْ شَآءَ اللہ क़बूल होगी, हाथ जुदा होने से पहले पहले दोनों की मग़फ़िरत हो जाएगी । (مسند امام احمد ،۴/ ۲۸۶ حدیث: ۱۲۴۵۴) ٭ आपस में हाथ मिलाने से दुश्मनी दूर होती है । ٭ फ़रमाने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ है : जो मुसलमान अपने भाई से मुसाफ़ह़ा करे और किसी के दिल में दूसरे से (ज़ाती) दुश्मनी न हो, तो हाथ जुदा होने से पहले अल्लाह पाक दोनों के पिछले गुनाहों को बख़्श देगा और जो कोई अपने मुसलमान भाई की त़रफ़ मह़ब्बत भरी नज़र से देखे और उस के दिल या सीने में दुश्मनी न हो, तो निगाह लौटने से पहले दोनों के पिछले गुनाह बख़्श दिये जाएंगे । (کَنْزُ الْعُمّال ،۹/ ۵۷) ٭ मुसाफ़ह़ा करते (या'नी हाथ मिलाते) वक़्त सुन्नत येह है कि हाथ में रूमाल वग़ैरा रुकावट न हो, दोनों हथेलियां ख़ाली हों और हथेली से हथेली मिलनी चाहिये । (बहारे शरीअ़त, ह़िस्सा 16, 3 / 98)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد