Book Name:Siddique-e-Akbar Ka Kirdar O Farameen
ह़ज़रते सय्यिदुना बिलाल رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ की आज़ादी
अल्लाह पाक की रह़मत बन कर दुन्या में तशरीफ़ लाने वाले आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के बहुत प्यारे और मश्हूर सह़ाबी, ह़ज़रते सय्यिदुना बिलाले ह़ब्शी رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ सच्चे मोमिन और पाकीज़ा दिल ग़ुलाम थे । इन का मालिक उमय्या बिन ख़लफ़ इन्हें सख़्त धूप में ले जा कर मक्का से बाहर दहक्ती हुई रेत पर चित लिटा कर सीने पर एक बड़ा पथ्थर रख देता और कहता : मुह़म्मद (صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के दीन) का इन्कार करो, हमारे ख़ुदाओं की इ़बादत करो, वरना यूंही मर जाओगे । ह़ज़रते सय्यिदुना बिलाले ह़ब्शी رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ सिर्फ़ येही जवाब देते : अह़द ! अह़द ! (या'नी अल्लाह पाक एक है, उस का कोई शरीक नहीं) । (الریا ض النضرۃ، ذکر من اعتقہ …الخ ، ۱/ ۱۳۳تا۱۳۴)
एक दिन अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते सय्यिदुना अबू बक्र सिद्दीक़ رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ उस जगह से गुज़रे जहां ह़ज़रते सय्यिदुना बिलाले ह़ब्शी رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ को ज़ुल्म का निशाना बनाया जा रहा था । आप رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ ने उमय्या बिन ख़लफ़ को डांटते हुवे कहा : इस मिस्कीन को सताते हुवे तुझे अल्लाह पाक से डर नहीं लगता ! कब तक ऐसा करता रहेगा ? वोह कहने लगा : अबू बक्र ! तुम ने ही इसे ख़राब (या'नी मुसलमान) किया है, तुम ही इसे छुड़ा लो । आप رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ ने फ़रमाया : मेरे पास ह़ज़रते बिलाल رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ से ज़ियादा तन्दुरुस्त व तवाना ग़ुलाम है, ह़ज़रते बिलाल رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ मुझे दे कर वोह तुम ले लो । कहने लगा : मन्ज़ूर है । आप رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ ने कुछ रक़म और ग़ुलाम के बदले में इन्हें ख़रीद कर आज़ाद कर दिया । इस के बा'द आप رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ ने मज़ीद छे ऐसे ही ग़ुलाम आज़ाद किये । (الریا ض النضرۃ، ذکر من اعتقہ …الخ ، ۱/۱۳۴) येह भी मरवी है कि अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते सय्यिदुना अबू बक्र सिद्दीक़ رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ ने ह़ज़रते बिलाले ह़ब्शी رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ को पांच ऊक़िय्या (या'नी तक़रीबन 32 तोले) सोना अदा कर के ख़रीदा । तो फ़रोख़्त करने वाले ने कहा : अबू बक्र ! अगर तुम सिर्फ़