Book Name:Hazrat Ibraheem Ki Qurbaniyain
आसमान) और न ही येह महरो माह (या'नी सूरज व चांद) वुजूद में आए थे । उस वक़्त अल्लाह पाक ने अपने मह़बूब के नूर से लौह़ो क़लम और अ़र्श व कुर्सी पैदा फ़रमाए फिर उस नूरे पाक से आसमानो ज़मीन और जन्नत व दोज़ख़ को बनाया, ग़रज़ ! येह कि ह़ुज़ूरे पाक, साह़िबे लौलाक صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ज़ाते पाक ही मक़्सदे तख़्लीके़ काइनात है । जैसा कि :
ह़दीसे क़ुद्सी का मफ़्हूम है, ह़ज़रते सय्यिदुना अ़ब्दुल्लाह बिन अ़ब्बास رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُمَا से रिवायत है : अल्लाह करीम ने ह़ज़रते सय्यिदुना ई़सा रूह़ुल्लाह عَلٰی نَبِیِّنَاوَعَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام को वह़य भेजी : ऐ ई़सा ! मुह़म्मद (صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ) पर ईमान लाओ और तुम्हारी उम्मत में से जो लोग उन का ज़माना पाएं, उन्हें भी ह़ुक्म करना कि उन पर ईमान लाएं, "فَلَوْلَامُحَمَّدٌ مَاخَلَقْتُ اٰدَمَ وَلَاالْجَنَّۃَ وَلَاالنَّارَ" क्यूंकि अगर मुह़म्मदे अ़रबी صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ज़ाते गिरामी न होती, तो मैं न आदम को पैदा करता और न ही जन्नत व दोज़ख़ बनाता । जब मैं ने अ़र्श को पानी पर बनाया, तो वोह उस वक़्त जुम्बिश कर रहा था, मैं ने उस पर لَآاِلٰہَ اِلَّا اللّٰہُ مُحَمَّدٌ رَّسُوْلُ اللّٰہِ लिख दिया, पस वोह ठहर गया । (الخصائص الکبری، باب خصوصیتہ بکتابۃ اسمہ الشریف …الخ ، ۱/۱۴)
गोया कि इस काइनात की सब रौनके़ं ह़ुज़ूर عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام ही के सबब से हैं । ह़दीसे क़ुद्सी है, अल्लाह पाक इरशाद फ़रमाता है : لَقَدْخَلَقْتُ الْدُنْیَا وَاَھْلَھَا لِاُعَرِّفَھُمْ کَرَامَتَکَ وَمَنْزِلَتَکَ عِنْدِیْ وَلَوْلاَکَ یَامُحَمَّدُ! مَاخَلَقْتُ الدُّنْیَا या'नी ऐ मेरे ह़बीब (صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ) ! मैं ने दुन्या और अहले दुन्या को इस लिये पैदा किया कि जो इ़ज़्ज़तो मन्ज़िलत तुम्हारी मेरे यहां है, मैं उन को इस की पहचान करा दूं और ऐ मेरे ह़बीब (صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ) ! अगर तुम न होते, तो मैं दुन्या को पैदा न करता । (تاریخِ دمشق،۳/۵۱۸ , अज़ : मल्फ़ूज़ाते आ'ला ह़ज़रत, स. 521)