Book Name:Hazrat Ibraheem Ki Qurbaniyain
हिदायत का पौदा उग गया जो आहिस्ता आहिस्ता मदनी माह़ोल की पाकीज़ा फ़ज़ाओं में परवान चढ़ता गया फिर एक बार जब उन्हों ने शैख़़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ का हौलनाक बयान बनाम "गाने बाजे की हौलनाकियां" सुना जिस के समरात का असर फिर कुछ यूं ज़ाहिर हुवा कि उन्हें अपने तमाम गुनाहों से तौबा की तौफ़ीक़ मिल गई, बा पर्दा रहने की आदत उन में रासिख़ हो गई और सुन्नते रसूल से मह़ब्बत उन की नस नस में बस गई, पांचों नमाज़ें पाबन्दी से पढ़ने लगीं और तोशए आख़िरत जम्अ़ करने लगीं, "اَمْر بِالْمَعرُوف و نَہْیٌ عَنِ الْمُنْکَر" का ऐसा जज़्बा मोजज़न हुवा कि तन्ज़ीमी तरकीब के मुत़ाबिक़ तह़सील मुशावरत की ज़िम्मेदार के मन्सब पर जा पहुंचीं और अस्लाफ़ की सुन्नत पर अ़मल करते हुवे ख़िदमते दीन के लिये कोशां हो गईं ।
(अदाकारी का शौक़ कैसे ख़त्म हुवा ?, स. 21)
अगर आप को भी दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल के ज़रीए़ कोई मदनी बहार या बरकत मिली हो, तो आख़िर में मदनी बहार मक्तब पर जम्अ़ करवा दें ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! ह़ज़रते सय्यिदुना इस्माई़ल عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام, ह़ज़रते सय्यिदुना इब्राहीम عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام की ज़ौजए मोह़तरमा ह़ज़रते बीबी हाजरा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھَا के बत़ने मुबारक से पैदा हुवे । इन की पैदाइश के बा'द आप (ह़ज़रते सय्यिदुना इब्राहीम) عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام पर वह़य नाज़िल हुई कि आप ह़ज़रते हाजरा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھَا और इस्माई़ल عَلَیْہِ السَّلَام को उस सरज़मीन में छोड़ आएं जहां बे आबो गियाह (या'नी बे रौनक़) मैदान और ख़ुश्क पहाड़ियों के सिवा कुछ भी नहीं है । चुनान्चे, ह़ज़रते इब्राहीम عَلَیْہِ السَّلَام ने ह़ज़रते हाजरा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھَا और ह़ज़रते इस्माई़ल عَلَیْہِ السَّلَام को साथ ले कर सफ़र फ़रमाया और