Book Name:Hazrat Ibraheem Ki Qurbaniyain
लिटा दिया, उन के चेहरे से नज़र हटा ली और उन के गले पर छुरी चला दी लेकिन छुरी ने अपना काम न किया या'नी गला न काटा । उस वक़्त ह़ज़रते इब्राहीम عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام पर वह़य नाज़िल हुई । चुनान्चे, पारह 23, सूरतुस्साफ़्फ़ात आयत नम्बर 104 ता 107 में इरशाद होता है :
وَ نَادَیْنٰهُ اَنْ یّٰۤاِبْرٰهِیْمُۙ(۱۰۴) قَدْ صَدَّقْتَ الرُّءْیَاۚ-اِنَّا كَذٰلِكَ نَجْزِی الْمُحْسِنِیْنَ(۱۰۵) اِنَّ هٰذَا لَهُوَ الْبَلٰٓؤُا الْمُبِیْنُ(۱۰۶) وَ فَدَیْنٰهُ بِذِبْحٍ عَظِیْمٍ(۱۰۷) (پ 23، الصّٰفّٰت، 104-107)
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : और हम ने उसे निदा फ़रमाई कि ऐ इब्राहीम ! बेशक तू ने ख़्वाब सच कर दिखाया, हम नेकी करने वालों को ऐसा ही सिला देते हैं, बेशक येह ज़रूर खुली आज़माइश थी और हम ने इस्माई़ल के फ़िदये में एक बड़ा ज़बीह़ा दे दिया ।
(ً تفسیر خازن ج ۴ ص ۲۲ملخّصا , अज़ : बेटा हो तो ऐसा, स. 12)
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! इस वाक़िए़ से जहां ह़ज़रते सय्यिदुना इस्माई़ल عَلٰی نَبِیِّنَاوَعَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام का आ'ला मक़ामे सब्रो रिज़ा साबित होता है, वहीं ह़ज़रते सय्यिदुना इब्राहीम ख़लीलुल्लाह عَلٰی نَبِیِّنَاوَعَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام का अपने रब्बे करीम का ह़द दरजा मुत़ीअ़ व फ़रमां बरदार होना भी ज़ाहिर होता है ।
क्या हर कोई ख़्वाब देख कर अपना बेटा ज़ब्ह़ कर सकता है ?
याद रहे ! कोई शख़्स ख़्वाब या गै़बी आवाज़ की बुन्याद पर अपने या दूसरे के बच्चे या किसी इन्सान को ज़ब्ह़ नहीं कर सकता, करेगा तो सख़्त गुनहगार और अ़ज़ाबे नार का ह़क़दार क़रार पाएगा । ह़ज़रते इब्राहीम عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام जो ख़्वाब की बिना पर अपने बेटे की क़ुरबानी के लिये तय्यार हो गए, येह ह़क़ है क्यूंकि आप नबी हैं और नबी का ख़्वाब वह़ये इलाही होता है । इन ह़ज़रात का इम्तिह़ान था, ह़ज़रते जिब्रईल عَلَیْہِ السَّلَام जन्नती दुम्बा ले आए और अल्लाह पाक के ह़ुक्म से ह़ज़रते इब्राहीम عَلَیْہِ السَّلَام ने अपने प्यारे बेटे के बजाए उस जन्नती दुम्बे को ज़ब्ह़ फ़रमा दिया । (बेटा हो तो ऐसा, स. 19)