Hazrat Ibraheem Ki Qurbaniyain

Book Name:Hazrat Ibraheem Ki Qurbaniyain

इस्लामी बहनों को घर घर जा कर नेकी की दा'वत दी जाती है । हफ़्ते का कोई एक दिन मुक़र्रर कर के जगह बदल बदल कर मदनी दौरे के ज़रीए़ नेकी की दा'वत की सआदत ह़ासिल कीजिये । कम अज़ कम 7 इस्लामी बहनें (जिस में कम अज़ कम एक बड़ी उ़म्र वाली ज़रूर हों) अपने ज़ैली ह़ल्के़ या ह़ल्के़ के अत़राफ़ में (पर्दे की एह़तियात़ के साथ) घर घर जा कर 72 मिनट मदनी दौरे की तरकीब बनाएं और दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल से हर दम वाबस्ता रहिये । आइये ! दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्तगी की एक मदनी बहार मुलाह़ज़ा कीजिये । चुनान्चे,

बा पर्दा रहने की आदत बन गई

        मुल्के मुर्शिद में मुक़ीम एक इस्लामी बहन को जब तक दा'वते इस्लामी का मदनी माह़ोल न मिला था, शैत़ान की मक्कारियों ने उन्हें हिदायत से भटकाए रखा था और दुन्या की फ़ानी चीज़ों को उन के सामने मुज़य्यन कर दिया था । ह़क़ीक़ी मा'नों में क्या अच्छा और क्या बुरा है ? क़ब्रो आख़िरत की भलाई किन कामों में पोशीदा है ? इस का शुऊ़र उन्हें एक इस्लामी बहन ने दिलाया जो दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल की तरबिय्यत याफ़्ता थीं । इस्लाम की ख़ुसूसिय्यात में से येह भी है कि जो अपने लिये पसन्द किया जाए, वोही दूसरों के लिये भी पसन्द किया जाए, लिहाज़ा इस्लामी ता'लीमात से सरशार उन इस्लामी बहन ने उन नई इस्लामी बहन को भी मदनी माह़ोल में आने और अपनी ज़िन्दगी को क़ुरआनो सुन्नत की राह पर चलाने का मदनी ज़ेहन दिया और इस काम का आग़ाज़ करने के लिये हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ में शिर्कत का मदनी मशरा दिया । उन की इस नेकी की दा'वत पर उन का दिल नेकी की जानिब माइल हो गया, इस त़रह़ उन की हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ में शिर्कत का सामान हो गया । اَلْحَمْدُلِلّٰہ عَزَّوَجَلَّ वोह इजतिमाअ़ में शरीक हुईं और वहां होने वाले बयान व ज़िक्रो दुआ की बरकतों से वोह ख़ूब ख़ूब मुस्तफ़ीज़ हुईं । इस इजतिमाअ़ की बरकत से उन के दिल में