Book Name:Hazrat Ibraheem Ki Qurbaniyain
पस्त आवाज़ से जवाब दूंगी । ٭ इजतिमाअ़ के बा'द ख़ुद आगे बढ़ कर सलाम व मुसाफ़ह़ा और इनफ़िरादी कोशिश करूंगी । ٭ दौराने बयान मोबाइल के ग़ैर ज़रूरी इस्ति'माल से बचूंगी, न बयान रीकॊर्ड करूंगी, न ही और किसी क़िस्म की आवाज़ (कि इस की इजाज़त नहीं) । जो कुछ सुनूंगी, उसे सुन और समझ कर, उस पे अ़मल करने और उसे बा'द में दूसरों तक पहुंचा कर नेकी की दा'वत आम करने की सआदत ह़ासिल करूंगी ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! माहे ज़ुल ह़िज्जतिल ह़राम अपनी ख़ुश्बूएं, बहारें और बरकतें लुटा रहा है । येह वोह मुबारक महीना है कि जिस में अल्लाह करीम के प्यारे नबी, ह़ज़रते सय्यिदुना इब्राहीम ख़लीलुल्लाह عَلٰی نَبِیِّنَاوَعَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام ने अपने साह़िबज़ादे ह़ज़रते सय्यिदुना इस्माई़ल ज़बीह़ुल्लाह عَلٰی نَبِیِّنَاوَعَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام के साथ मिल कर सब्रो रिज़ा का ऐसा मुज़ाहरा फ़रमाया कि जिस की मिसाल नहीं मिलती । आप عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام ने ज़ुल ह़ज की आठवीं रात एक ख़्वाब देखा जिस में कोई कहने वाला येह कह रहा है : बेशक अल्लाह करीम तुम्हें अपने बेटे को ज़ब्ह़ करने का ह़ुक्म देता है । नवीं रात फिर वोही ख़्वाब देखा, दसवीं रात फिर वोही ख़्वाब देखने के बा'द आप عَلَیْہِ السَّلَام ने सुब्ह़ इस ख़्वाब पर अ़मल करने या'नी बेटे की क़ुरबानी का पक्का इरादा फ़रमा लिया । (تفسیرِ کبیر، ۹/۳۴۶, अज़ बेटा हो तो ऐसा, स. 2-3, मुल्तक़त़न) अल्लाह पाक के ह़ुक्म पर अ़मल करते हुवे बेटे की क़ुरबानी के लिये ह़ज़रते इब्राहीम عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام जब अपने प्यारे बेटे ह़ज़रते इस्माई़ल عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام को जिन की उ़म्र उस वक़्त 7 साल (या 13 साल या इस से थोड़ी ज़ाइद) थी ले कर चले । (बेटा हो तो ऐसा, स. 3) फिर जिस त़रह़ ह़ज़रते इस्माई़ल عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام ने कहा था उन को उसी त़रह़ बांध दिया, अपनी छुरी तेज़ की, ह़ज़रते इस्माई़ल عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام को पेशानी के बल