Book Name:Hazrat Ibraheem Ki Qurbaniyain
आप عَلَیْہِ السَّلَام के चचा ने जब आप की बात मानने से इन्कार किया और वोह भी आप का दुश्मन हो गया, तो इस के बा'द आप عَلَیْہِ السَّلَام ने अपनी क़ौम को दा'वत दी, तो उन्हों ने भी आप عَلَیْہِ السَّلَام की बात मानने से इन्कार कर दिया मगर आप عَلَیْہِ السَّلَام मुसल्सल अपनी क़ौम को नेकी की दा'वत देने और उन्हें कुफ़्रो शिर्क की अन्धेरी वादियों से निकालने के लिये कमर बस्ता रहे मगर वोह बाज़ न आए और वोह भी आप عَلَیْہِ السَّلَام के दुश्मन हो गए और कहने लगे : (پارہ:۲۰، العنکبوت:۲۴) قَالُوا اقْتُلُوْهُ اَوْ حَرِّقُوْهُ (तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : उन्हों ने कहा : इन्हें क़त्ल कर दो या जला दो ।)
सदरुल अफ़ाज़िल, ह़ज़रते मुफ़्ती सय्यिद मुह़म्मद नई़मुद्दीन मुरादाबादी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ फ़रमाते हैं : नमरूद और उस की क़ौम आप عَلَیْہِ السَّلَام को जला डालने पर मुत्तफ़िक़ हो गई और उन्हों ने आप عَلَیْہِ السَّلَام को एक मकान में कै़द कर दिया और क़रयए कौसा में एक इ़मारत बनाई और एक महीने तक ब कोशिशे तमाम क़िस्म क़िस्म की लक्ड़ियां जम्अ़ कीं और एक अ़ज़ीम (या'नी बड़ी) आग जलाई, जिस की तपिश (Heat) से हवा में परवाज़ करने वाले परिन्दे जल जाते थे और एक मन्जनीक़ (या'नी पथ्थर फेंकने की तोप) खड़ी की और आप عَلَیْہِ السَّلَام को बांध कर उस में रख कर आग में फेंका, उस वक़्त आप عَلَیْہِ السَّلَام की ज़बाने मुबारक पर था حَسْبِیَ اﷲُ وَ نِعْمَ الْوَکِیْلُ (या'नी अल्लाह करीम मुझे काफ़ी है और क्या ही अच्छा कारसाज़) । जिब्रईले अमीन عَلَیْہِ السَّلَام ने आप عَلَیْہِ السَّلَام से अ़र्ज़ किया कि क्या कुछ काम है ? आप عَلَیْہِ السَّلَام ने फ़रमाया : तुम से नहीं ! जिब्रईल عَلَیْہِ السَّلَام ने अ़र्ज़ किया : तो अपने रब्बे करीम से सुवाल कीजिये । फ़रमाया : सुवाल करने से उस का मेरे ह़ाल को जानना मेरे लिये किफ़ायत करता है । (ख़ज़ाइनुल इ़रफ़ान, पारह : 17, अल अम्बिया, तह़तुल आयत : 68)
तब अल्लाह करीम ने उस आग को ह़ुक्म फ़रमाया :