Hazrat Ibraheem Ki Qurbaniyain

Book Name:Hazrat Ibraheem Ki Qurbaniyain

یٰنَارُ كُوْنِیْ بَرْدًا وَّ سَلٰمًا عَلٰۤى اِبْرٰهِیْمَۙ(۶۹)(پارہ:۱۷، الانبیا:۶۹)

(तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : ऐ आग ! इब्राहीम पर ठन्डी और सलामती वाली हो जा ।) तो आग ने सिवा आप की बन्दिश (या'नी रस्सियों वग़ैरा) के और कुछ न जलाया और आग की गर्मी ज़ाइल (या'नी ख़त्म) हो गई और रौशनी बाक़ी रही । (ख़ज़ाइनुल इ़रफ़ान, पारह : 17, अल अम्बिया, तह़तुल आयत : 69)

आज़माइश पर सब्र अम्बिया का त़रीक़ा है

        मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! आप ने सुना ! ह़ज़रते सय्यिदुना इब्राहीम عَلٰی نَبِیِّنَاوَعَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام ने अपनी क़ौम को दीने ह़क़ की दा'वत देने में कैसी हिम्मत, इस्तिक़ामत, ह़ौसले और सब्र से काम लिया । पहले आप عَلَیْہِ السَّلَام के घर वाले आप के दुश्मन हुवे फिर आप عَلَیْہِ السَّلَام की क़ौम भी दुश्मन हो गई, इस के बा वुजूद आप عَلَیْہِ السَّلَام ने दा'वते दीन पहुंचाना तर्क न फ़रमाया बल्कि इन की इस्लाह़ की कोशिश जारी रखी, यहां तक कि उन्हों ने आप عَلَیْہِ السَّلَام को ज़िन्दा आग में जलाने का फ़ैसला कर लिया, तब भी आप عَلَیْہِ السَّلَام ने इन के आगे झुकना गवारा न किया और कमाले सब्र देखिये ! उस वक़्त ह़ज़रते सय्यिदुना जिब्रईले अमीन عَلَیْہِ السَّلَام ने ह़ाज़िर हो कर अ़र्ज भी की, कि कोई ह़ाजत है, तो फ़रमाएं पूरी कर दूं ? मगर क़ुरबान जाइये ! ह़ज़रते सय्यिदुना इब्राहीम ख़लीलुल्लाह عَلٰی نَبِیِّنَاوَعَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام पर कि उस वक़्त भी सब्रो रिज़ा के पैकर बने रहे ।

          इस वाक़िए़ से उन इस्लामी बहनों को भी दर्स ह़ासिल करना चाहिये जो अल्लाह करीम की राह में नेकी की दा'वत देते हुवे पेश आने वाली मुसीबतों पर शिकवा करती नज़र आती हैं । याद रखिये ! दीन की तब्लीग़ करना अम्बियाए किराम عَلَیْہِمُ السَّلَام की सुन्नते करीमा है और इस राह में मिलने वाली तक्लीफ़ों पर सब्र करना भी इन्ही मुक़द्दस हस्तियों का त़रीक़ा है । अल्लाह करीम अम्बिया व मुर्सलीन عَلَیْہِمُ الصَّلٰوۃُ وَالتَّسْلِیْم और औलियाए कामिलीन رَحِمَہُمُ اللہُ الْمُبِیْن की