Hazrat Ibraheem Ki Qurbaniyain

Book Name:Hazrat Ibraheem Ki Qurbaniyain

को कसीर दरजात के साथ तमाम अम्बियाए किराम عَلَیْھِمُ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام पर फ़ज़ीलत अ़त़ा फ़रमाई, इस अ़क़ीदे पर तमाम उम्मत का इज्माअ़ है और येह अ़क़ीदा ब कसरत अह़ादीस से साबित है ।

          मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! मा'लूम हुवा कि हमारे प्यारे आक़ा व मौला صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ तमाम अम्बिया عَلَیْہِمُ السَّلَام से अफ़्ज़ल हैं । यहां तक कि जनाबे इब्राहीम عَلٰی نَبِیِّنَاوَعَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام को भी जो ख़साइसो कमालात और बुलन्द मरातिब ह़ासिल हुवे वोह भी हमारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का सदक़ा है क्यूंकि आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के सदके़ से ही दुन्या व माफ़ीहा (या'नी दुन्या और जो कुछ इस में है सब) को पैदा किया गया । आ'ला ह़ज़रत, इमाम अह़मद रज़ा ख़ान رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ इसी ह़क़ीक़त की त़रफ़ इशारा करते हुवे फ़रमाते हैं :

होते कहां ख़लीलो बिना, का'बा व मिना

लौलाक वाले साह़िबी सब तेरे घर की है

(ह़दाइक़े बख़्शिश, स. 203)

या'नी आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ येह फ़रमा रहे हैं : हर किसी का वुजूद ह़ुज़ूर عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام के फ़ैज़े नूर से है । अगर ह़ुज़ूर عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام न होते, तो न का'बा ता'मीर करने वाले ह़ज़रते ख़लीलुल्लाह عَلَیْہِ السَّلَام होते, न का'बा शरीफ़ की बुन्याद रखी जाती और न ही मिना की रौनक़ें होतीं । (शर्हे़ ह़दाइके़ बख़्शिश, अज़ : मौलाना ह़सन क़ादिरी, स : 585) तो आलम की पैदाइश भी ह़ुज़ूरे पुरनूर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के त़ुफ़ैल हुई है और इस काइनाते रंगो बू में चहल पहल भी मीठे मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की वज्ह से है । जब रब्बे करीम ने काइनात बसाने का इरादा फ़रमाया, तो उस ने अपने ह़बीब صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के नूर की तख़्लीक़ फ़रमाई, उस वक़्त न जिन्न थे न इन्सान, न लौह़ थी न क़लम, न जन्नत व दोज़ख़, न ह़ुरो मलक थे, न ज़मीन व फ़लक (या'नी