Iman Ki Salamti

Book Name:Iman Ki Salamti

से बचने का सुवाल करता है, तो वोह केहती है : ऐ अल्लाह पाक ! इस को मुझ से बचा । (अल्लाह वालों की बातें, 5 / 113)

          एक रिवायत में है : ह़ुज़ूर नबिय्ये अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने इरशाद फ़रमाया : अल्लाह पाक फ़िरिश्तों से फ़रमाता है : मेरे बन्दे के आमाल नामे में देखो कि जिस ने मुझ से जन्नत मांगी, मैं ने उसे जन्नत अ़त़ा की और जिस ने जहन्नम से मेरी पनाह मांगी, मैं ने उसे जहन्नम से पनाह दी ।  (حلیۃ الاولیاء ۶/۱۷۵)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

अ़ज़ीज़ों के रूप में ईमान पर डाका

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! दुन्या में आने को तो हम आ गए मगर अब दुन्या से ईमान को सलामत ले जाने के लिए सख़्त दुशवार गुज़ार घाटियों से गुज़रना होगा और फिर भी कुछ नहीं मालूम कि ख़ातिमा कैसा होगा । याद रखिए ! मौत के वक़्त ईमान छीनने के लिए शैत़ान त़रह़ त़रह़ के हथकन्डे इस्तिमाल करता है, ह़त्ता कि मां-बाप का रूप धार कर भी ईमान पर डाके डालता है और कभी मरने वाले के सामने नज़अ़ के वक़्त उस के प्यारों की सूरत अपना कर आता है और बात़िल लोगों को दुरुस्त साबित करने की कोशिश कर के मरने वाले को उन का मज़हब इख़्तियार करने का केहता हैतो कभी ईमान छीनने की कोई और चाल चलता है । यक़ीनन वोह ऐसा नाज़ुक मौक़अ़ होता है कि बस जिस पर अल्लाह पाक का ख़ास करम व एह़सान हो, वोही काम्याब व कामरान होता है और उसी का ईमान सलामत रेहता है ।

ईमान पर मौत आती हो, तो आज और अभी आ जाए !

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! दुन्या से ईमान सलामत ले जाने वाला मुआ़मला इन्तिहाई मुश्किल है । काश ! हम सब को ईमान की ह़िफ़ाज़त के जज़्बे पर इस्तिक़ामत मिल जाए । सद करोड़ काश ! आ़फ़िय्यत के साथ ईमान पर मौत नसीब हो जाए । ह़ज़रते इमाम मुह़म्मद बिन मुह़म्मद ग़ज़ाली رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ से मन्क़ूल एक बुज़ुर्ग رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ के इरशाद का ख़ुलासा है : अगर ईमान पर मौत मेरे अपने कमरए ख़ास के दरवाज़े पर मिल रही हो और शहादत इ़मारत के मर्कज़ी दरवाज़े पर मुन्तज़िर हो, तो शहादत अगर्चे आला दरजे की सआ़दत है मगर मैं कमरे के दरवाज़े पर मिलने वाली ईमान पर मौत को फ़ौरन क़बूल कर लूंगा कि क्या मालूम ! इ़मारत के मर्कज़ी दरवाज़े तक पहुंचते पहुंचते मेरा दिल बदल जाए और मैं ईमान पर मिलने वाली मौत के शरफ़ से ही मह़रूम हो जाऊं !  (احیاء العلوم، کتاب الخوف والرجاء، بیان فضیلۃ الخوفالخ،۴/۲۱۱)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد