Iman Ki Salamti

Book Name:Iman Ki Salamti

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! हमें चाहिए कि अपने गुनाहों को याद करें, उन पर आंसू बहाएं और अल्लाह पाक से तौबा व इस्तिग़फ़ार करें ।बद क़िस्मती से आज कल हम लोग रोते तो हैं मगर ख़त़ाओं पर या ख़ौफे़ ख़ुदा की वज्ह से नहीं रोते बल्कि दुन्या के ग़मों की वज्ह से रोते हैं जबकि हमारे बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِم के नज़दीक दुन्या की मह़ब्बत या माल के रुख़्सत हो जाने पर रोना क़ाबिले तारीफ़ नहीं था बल्कि इन ह़ज़रात के नज़दीक ख़ौफे़ ख़ुदा में रोना, इ़श्के़ मुस्त़फ़ा में आंसू बहाना, गुनाहों पर अश्कबारी (Weeping) करना और ईमान के छिन जाने के डर से गिर्या व ज़ारी करना क़ाबिले तारीफ़ था । जैसा कि :

दुन्यवी सामान जाए, पर ईमान न जाए

          ह़ज़रते अ़ब्दुल्लाह तुस्तरी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ से किसी ने शिकायत के त़ौर पर अ़र्ज़ की : ह़ुज़ूर ! चोर मेरे घर से तमाम माल चुरा कर ले गए । आप ने इरशाद फ़रमाया : अगर शैत़ान तुम्हारे दिल में दाख़िल हो कर ईमान ले जाता तो ! फिर तुम क्या करते ? ( کیمیائے سعادت،رکن چہارم: منجیات، فصل بربلا نیز شکر باید کرد،۲/ ۸۰۵)

          ऐ काश ! हम भी बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْھِم के नक़्शे क़दम पर चलते हुवे : ٭ ख़ौफे़ ख़ुदा से रोएं । ٭ ईमान पर ख़ातिमे के लिए रोएं । ٭ बुरे ख़ातिमे के ख़ौफ़ से आंसू बहाएं । ٭ यादे ख़ुदा में आहो ज़ारी करें । ٭ इ़श्के़ मुस्त़फ़ा में पल्कें भिगोएं । ٭ मदीने की याद में तड़पें । ٭ जन्नतुल बक़ीअ़ की त़लब में गिर्या व ज़ारी करें । ٭ क़ियामत की घबराहट से बचने के लिए आंखें नम करें । ٭ पुल सिरात़ से ब आसानी गुज़र हो जाए, इस लिए रोएं । ٭ मीज़ाने अ़मल पर नेकियों का पल्ड़ा वज़्नदार हो जाए, इस लिए गिड़गिड़ाएं । ٭ बल्कि बे ह़िसाब बख़्शे जाने के लिए अल्लाह पाक की बारगाह में रो रो कर आंखें सुजाएं । ٭ अपनी ख़त़ाओं पर आंसू बहा बहा कर गुनाहों की मुआ़फ़ी और सच्ची तौबा की भीक त़लब करें ।

ईमान की ह़िफ़ाज़त के लिए क्या किया जाए ?

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! ईमान की ह़िफ़ाज़त के लिए ٭ बुरों की सोह़बत से दूर रहें । ٭ नेक लोगों के साथ अपने तअ़ल्लुक़ को मज़बूत़ करें । ٭ इ़ल्मे दीन सीखें । ٭ गुनाहों से दूर रहें । ٭ नेकियों पर इस्तिक़ामत ह़ासिल कीजिए । ٭ कामिल ईमान वालों की सीरत का मुत़ालआ़ कीजिए । ٭ फ़ुज़ूल गोई से इजतिनाब कीजिए । ٭ दीन के मुआ़मले में मोह़तात़ रहिए । ٭ ईमान के तह़फ़्फ़ुज़ के लिए ख़ूब दुआ़एं कीजिए । ٭ अवरादो वज़ाइफ़ को भी अपने मामूलात में शामिल कीजिए ।

          اَلْحَمْدُ لِلّٰہ शजरए क़ादिरिय्या रज़विय्या अ़त़्त़ारिय्या में ईमान की सलामती के मुख़्तलिफ़ अवराद मौजूद हैं, इन को पढ़ने में पाबन्दी की जाए, तो अल्लाह पाक की रह़मत से दुन्या व