Iman Ki Salamti

Book Name:Iman Ki Salamti

कोई ज़मानत नहीं

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! अल्लाह पाक का करोड़हा करोड़ एह़सान कि उस ने हमें अपने प्यारे मह़बूब صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم की उम्मत में पैदा किया और इस्लाम की दौलत से सरफ़राज़ फ़रमाया । इस में कोई शक नहीं कि येह हमारी बहुत बड़ी सआ़दतमन्दी है कि اَلْحَمْدُ لِلّٰہ हम मुसलमान हैं मगर साथ ही साथ येह भी इन्तिहाई क़ाबिले फ़िक्र बात है कि हम में से किसी के पास इस बात की कोई ज़मानत (Surety) नहीं कि वोह मरते दम तक मुसलमान ही रहेगा, जिस त़रह़ बे शुमार कुफ़्फ़ार ख़ुश क़िस्मती से मुसलमान हो जाते हैं, इसी त़रह़ कई बद नसीब मुसलमानों का مَعَاذَ اللّٰہ इस्लाम से फिर जाना भी साबित है । चुनान्चे,

औलादे आदम के त़ब्क़ात

          एक त़वील ह़दीसे पाक में हमारे प्यारे आक़ा, मक्की मदनी मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने येह भी इरशाद फ़रमाया : औलादे आदम मुख़्तलिफ़ त़ब्क़ात पर पैदा की गई, उन में से : (1) बाज़ मोमिन पैदा हुवे, ह़ालते ईमान पर ज़िन्दा रहे और मोमिन ही मरेंगे । (2) बाज़ ग़ैर मुस्लिम पैदा हुवे, ह़ालते कुफ़्र पर ज़िन्दा रहे और ग़ैर मुस्लिम ही मरेंगे । (3) बाज़ मोमिन पैदा हुवे, मोमिनाना ज़िन्दगी गुज़ारी और ह़ालते कुफ़्र पर रुख़्सत हुवे और (4) बाज़ ग़ैर मुस्लिम पैदा हुवे, ग़ैर मुस्लिम ज़िन्दा रहे और मोमिन हो कर मरेंगे । (ترمذی،کتاب الفتن،باب ما اخبر النبیالخ،۴/ ۸۱،حدیث: ۲۱۹۸)

अस्ल काम्याबी क्या है ?

          मालूम हुवा ! अस्ल काम्याबी सिर्फ़ दुन्या में मोमिन व मुसलमान होना ही नहीं बल्कि इस के साथ साथ मरते वक़्त अपना ईमान सलामत ले जाना अस्ल काम्याबी है । जैसा कि एक और ह़दीसे पाक में इस बात को वाज़ेह़  त़ौर पर बयान किया गया । चुनान्चे, फ़रमाने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم है : یُبْعَثُ کُلُّ عَبْدٍ عَلٰی مَا مَاتَ عَلَیْہِ हर बन्दा उस ह़ालत पर उठाया जाएगा जिस पर मरेगा (مسلم،کتاب الجنۃ وصفۃ نعیمھا واہلھا، باب الامربحسن الظن باللہ تعالیالخ، ص۱۱۷۸، حدیث:۷۲۳۲)

          मुफ़स्सिरे क़ुरआन, ह़ज़रते मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ इस ह़दीसे पाक के तह़्त लिखते हैं : यानी एतिबार ख़ातिमे का है, अगर कोई कुफ़्र पर मरे, तो कुफ़्र पर ही उठेगा अगर्चे ज़िन्दगी में मोमिन रहा हो और अगर ईमान पर मरे, तो ईमान पर उठेगा अगर्चे ज़िन्दगी में ग़ैर मुस्लिम रहा हो । (मिरआतुल मनाजीह़, 7 / 153)

ईमान के तह़फ़्फ़ुज़ के लिए क्या किया जाए ?

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! हमें चाहिए : ٭ ईमान की नेमत मिलने पर अल्लाह पाक का शुक्र अदा करते रहें । ٭ ज़िन्दगी भर ईमान पर साबित़ क़दम रेहने की दुआ़एं मांगते रहें । ٭ ईमान की ह़िफ़ाज़त व मज़बूत़ी के लिए इ़ल्मे दीन बिल ख़ुसूस ईमानिय्यात व कुफ्रि़य्यात का ज़रूरी इ़ल्म सीखें ।٭ ईमान की ह़िफ़ाज़त के लिए ज़बान को कै़ंची की त़रह़ तेज़ और बाज़ारी अन्दाज़ में चलाने