Iman Ki Salamti

Book Name:Iman Ki Salamti

आख़िरत में इस की बरकतें ह़ासिल होंगी । रोज़ाना सुब्ह़ 41 बार یَاحَیُّ یَاقَیُّوْمُ لَاۤاِلٰہَ اِلَّااَنْتَ पढ़ने वाले का दिल ज़िन्दा रहेगा और ईमान पर ख़ातिमा होगा ।

          ईमान की ह़िफ़ाज़त का एक बेहतरीन ज़रीआ़ येह भी है कि किसी जामेअ़ शराइत़ पीर से बैअ़त हो जाएं । सरकारे ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ के दामन से वाबस्ता होने वाले मुरीदों की तो बात ही क्या है ! शैख़ अबू सऊ़द अ़ब्दुल्लाह رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ बयान करते हैं : शैख़ अ़ब्दुल क़ादिर जीलानी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ अपने मुरीदों के लिए क़ियामत तक इस बात के ज़ामिन हैं कि उन में से कोई भी तौबा किए बिग़ैर नहीं मरेगा । (بہجۃالاسرار،ذکرفضل اصحابہ وبشراھم، ص۱۹۱)

          اَلْحَمْدُ لِلّٰہ इस पुर फ़ितन दौर में अमीरे अहले सुन्नत, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की ज़ात हमारे लिए बहुत बड़ी नेमत है, जो आप से मुरीद होता है, आप उसे ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ के दामने करम से वाबस्ता कर देते हैं । लिहाज़ा हमें भी चाहिए कि जब भी मौक़अ़ मिले, फ़ौरन अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के ज़रीए़ ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ के मुरीदों में शामिल हो जाएं ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

ज़िक्रो दुरूद के फ़ज़ाइल

          ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! आइए ! ज़िक्रो दुरूद के चन्द फ़ज़ाइल सुनने की सआ़दत ह़ासिल करते हैं । पेहले 2 फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم सुनते हैं :

1.   फ़रमाया : अपने रब्बे करीम का ज़िक्र करने वाले और न करने वाले की मिसाल ज़िन्दा और मुर्दा की त़रह़ है । (خاری، کتاب الدعوات،۴/۲۲۰، حدیث: ۶۴۰۷)

2.   फ़रमाया : क़ियामत के दिन लोगों में से मेरे सब से क़रीब वोह होगा जिस ने दुन्या में मुझ पर ज़ियादा दुरूदे पाक पढ़े होंगे । (ِرمِذی،۲/۲۷،حدیث:۴۸۴)

٭ अल्लाह पाक का ज़िक्र करना रूह़ानी ग़िज़ा है । ٭ अल्लाह पाक का कसरत से ज़िक्र करो, अल्लाह पाक के ख़ास बन्दे बन जाओगे । (आ़राबी के सुवालात और अ़रबी आक़ा के जवाबात, स. 3) ٭ ह़ज़रते सुलैमान عَلَیْہِ السَّلَام ने इरशाद फ़रमाया : मुर्ग़ केहता है : اُذْکُرُوااللہَ یَاغَافِلِیْن  ऐ ग़ाफ़िलो ! अल्लाह पाक का ज़िक्र करो ।(فیض القدیر،۱/۴۸۸، تحت الحدیث: ۶۹۵) ٭ दुरूद शरीफ़ पढ़ना दरअस्ल अपने करीम रब की बारगाह से मांगने का एक बेहतरीन ज़रीआ़ है । ( गुलदस्तए दुरूदो सलाम, स. 22, मुलख़्ख़स) ٭  दुरूदो सलाम पढ़ना अल्लाह पाक और उस के प्यारे ह़बीब صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم की ख़ुशी का सबब है । (गुलदस्तए दुरूदो सलाम, स. 12, मुलख़्ख़सन) ٭  बरकत ह़ासिल करने और आक़ा करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم का क़ुर्ब पाने के लिए दुरूदो सलाम की कसरत से बढ़ कर कोई ज़रीआ़ नहीं है । (गुलदस्तए दुरूदो सलाम, स. 17, मुलख़्ख़सन) ٭ दुरूदे पाक दुआ़ की क़बूलिय्यत का सबब है ।(فردوس الاخبار، باب الصاد،۲/۲۲،حدیث:۳۵۵۴ ٭ दुरूदे पाक तमाम परेशानियों को दूर करने के लिए और तमाम ह़ाजतों को पूरा करने के लिए काफ़ी है । (تفسیردرمنثور،