Iman Ki Salamti

Book Name:Iman Ki Salamti

जिस को बरबादिए ईमान का ख़ौफ़ न होगा

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! बहर ह़ाल हमें हर दम अल्लाह पाक के दरबारे करम बार से ईमान की ह़िफ़ाज़त की भीक मांगने की रट जारी रखनी चाहिए । तश्वीश और सख़्त तश्वीश की बात येह है कि जिस त़रह़ दुन्यवी दौलत की ह़िफ़ाज़त के मुआ़मले में ग़फ़्लत, माली नुक़्सान का सबब बन सकती है, इसी त़रह़ बल्कि इस से भी ज़ियादा सख़्त मुआ़मला ईमान का है कि ईमान की ह़िफ़ाज़त से बे फ़िक्री और ईमान छिन जाने से बे ख़ौफ़ी सरासर नुक़्सान देह है । उ़लमाए किराम फ़रमाते हैं : जिस को सल्बे ईमान (यानी ईमान के छिन जाने) का ख़ौफ़ न हो, मरते वक़्त उस का ईमान सल्ब हो जाने का अन्देशा है । (मल्फ़ूज़ाते आला ह़ज़रत, स. 495)

          मालूम हुवा ! ईमान की ह़िफ़ाज़त से ग़फ़्लत सरासर नुक़्सान देह है, लिहाज़ा हमें हर दम अल्लाह पाक की ख़ुफ़्या तदबीर से डरते हुवे उसे राज़ी करने की कोशिशें जारी रखनी चाहिए । आइए ! अल्लाह पाक की ख़ुफ़्या तदबीर के बारे में एक रिक़्क़त अंगेज़ वाक़िआ़ सुनते हैं ।

हर वक़्त ख़ातिमा बिल ख़ैर की दुआ़ का सबब

          ह़ज़रते अ़ब्दुल्लाह बिन मोअज़्ज़िन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : मैं त़वाफे़ काबा में मश्ग़ूल था कि मैं ने एक शख़्स को देखा कि वोह ग़िलाफे़ काबा से लिपट कर एक ही दुआ़ की तकरार कर रहा है : ऐ अल्लाह पाक ! मुझे दुन्या से मुसलमान रुख़्सत करना । मैं ने उस से पूछा : इस के इ़लावा कोई और दुआ़ क्यूं नहीं मांगते ? उस ने कहा : मेरे दो भाई थे, मेरा बड़ा भाई एक अ़र्से तक मस्जिद में बिला मुआ़वज़ा (फ़ी सबीलिल्लाह) अज़ान देता रहा, जब उस की मौत का वक़्त आया, तो उस ने क़ुरआने पाक मांगा, हम ने उसे दिया ताकि वोह उस से बरकतें ह़ासिल करे मगर क़ुरआन शरीफ़ हाथ में ले कर वोह केहने लगा : तुम सब गवाह हो जाओ, मैं क़ुरआन के तमाम एतिक़ादात व अह़कामात से बेज़ारी (Displeasure) ज़ाहिर करता हूं । उस ने बात़िल मज़हब इख़्तियार कर लिया और कुफ़्र की ह़ालत में मर गया फिर दूसरे भाई ने तीस बरस तक मस्जिद में फ़ी सबीलिल्लाह अज़ान दी मगर आख़िरी वक़्त उस का ईमान बरबाद हो गया, लिहाज़ा मैं अपने ख़ातिमे के बारे में बेह़द फ़िक्रमन्द हूं और हर वक़्त ख़ातिमा बिल ख़ैर की दुआ़ मांगता रेहता हूं । ह़ज़रते अ़ब्दुल्लाह मोअज़्ज़िन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने उस से पूछा : तुम्हारे दोनों भाई आख़िर ऐसा कौन सा गुनाह करते थे जिस के सबब उन का ख़ातिमा बुरा हुवा ? उस ने बताया : वोह ग़ैर औ़रतों में दिलचस्पी लेते थे और अम्रदों (यानी बे रीश लड़कों) से दोस्ती करते थे । (الروض الفائق،المجلس الثانی،ص۱۴)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

12 दीनी कामों में से एक दीनी काम "फ़ज्र के लिए जगाना"

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! ईमान की सलामती की दौलत पाने और क़ल्बो निगाह की पाकीज़गी को बढ़ाने के लिए आ़शिक़ाने रसूल की दीनी तह़रीक दावते इस्लामी के दीनी माह़ोल से