Iman Ki Salamti

Book Name:Iman Ki Salamti

सबब है । हो सकता है किसी के ज़ेह्न में येह सुवाल पैदा हो कि मैं तो इतनी दूर हूं, मैं इन की सोह़बत की बरकतें कैसे ह़ासिल कर सकता हूं ? आइए ! सुनते हैं कि ज़ाहिरी मुलाक़ात व सोह़बत न होने की सूरत में क्या अन्दाज़ इख़्तियार किया जाए  कि इन हस्तियों का फै़ज़ान ह़ासिल हो सके, इन से बरकतें ली जा सकें ।  मदनी चेनल दुन्या भर में जहां नेकी की दावत आ़म कर रहा है, वहीं लोगों के ईमान का तह़फ़्फ़ुज़ भी कर रहा है बल्कि मदनी चेनल की बरकत से अब तक न जाने कितने ग़ैर मुस्लिम, इस्लाम के दामन से वाबस्ता हो चुके हैं । मदनी चेनल पर भी अमीरे अहले सुन्नत और जानशीने अमीरे अहले सुन्नत की ज़ियारत का मौक़अ़ मिलता रेहता है । दावते इस्लामी के शोबे "आई-टी डीपार्टमेन्ट" ने आ़शिक़ाने रसूल के लिए एक बहुत ही शानदार काम किया है, वोह क्या है ? आइए ! सुनिए ।

जानशीने अमीरे अहले सुन्नत की ऐप (Application) का तआ़रुफ़

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! اَلْحَمْدُ لِلّٰہ आ़शिक़ाने रसूल की दीनी तह़रीक दावते इस्लामी इस जदीद दौर में क़ुरआनो सुन्नत की दावत को आ़म करने के लिए जदीद ज़राएअ़ भी अपना रही है । इसी सिलसिले के तह़्त जानशीने अमीरे अहले सुन्नत, ह़ज़रते मौलाना उ़बैद रज़ा अ़त़्त़ारी मदनी  دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के नाम से भी एक ऐप (Application) बनाई गई है, जिस का नाम है "अल्ह़ाज उ़बैद रज़ा अ़त़्त़ारी (Al Haaj Ubaid Raza Attari)", इस में जानशीने अमीरे अहले सुन्नत के बयानात, शॉर्ट क्लिप, मुख़्तलिफ़ तन्ज़ीमी मसरूफ़िय्यात, मदनी चेनल रेडियो, क्लिप वग़ैरा की डाउनलोडिंग और सर्च की सहूलत शामिल की गई है । आज ही अपने मोबाइल में येह ऐप इन्सटॉल कीजिए और इस से भरपूर फ़ाएदा ह़ासिल कीजिए ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

ईमान लूटने के लिए छीना झपटी

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! हम ईमान की सलामती व ह़िफ़ाज़त की अहमिय्यत के बारे में सुन रहे थे । ऐ काश ! हमें ईमान की ह़िफ़ाज़त के लिए बुज़ुर्गाने दीन जैसी सोच और कुढ़न नसीब हो जाए । अल्लाह पाक के नेक बन्दे ईमान छिन जाने के ख़ौफ़ से किस क़दर लरज़ां व तरसां रहा करते थे । आइए ! इस से मुतअ़ल्लिक़ चन्द वाक़िआ़त सुनते हैं । चुनान्चे,

सल्बे ईमान की फ़िक्र में शब भर गिर्या व ज़ारी

      ह़ज़रते यूसुफ़ बिन अस्बात़ رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : मैं एक दफ़्आ़ ह़ज़रते सुफ़्यान सौरी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ के पास ह़ाज़िर हुवा, आप सारी रात रोते रहे । मैं ने पूछा : क्या आप गुनाहों के ख़ौफ़ से रो रहे हैं ? आप ने एक तिन्का उठाया और फ़रमाया : गुनाह तो अल्लाह पाक की बारगाह में इस तिन्के से भी कम ह़ैसिय्यत रखते हैं, मुझे तो इस बात का ख़ौफ़ है कि कहीं ईमान की दौलत न छिन जाए । (منہاج العابدین، الباب الخامس: العقبۃ الخامسۃ، الاصل الثالث فی ذکر ماوعدالخ، ص۱۶۹)