Jhoot Ki Badboo

Book Name:Jhoot Ki Badboo

अबू सुफ़्यान से आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के बारे में बहुत से सुवालात किये, अगर्चे उस वक़्त कुफ़्र की वज्ह से अबू सुफ़्यान, नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ से दुश्मनी रखते थे मगर इस के बा वुजूद ह़ुज़ूरे अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के किरदार के बारे में पूछे जाने वाले तमाम सुवालात के जवाबात शाहे रूम को सच सच बता दिये और शाने रिसालत घटाने के लिये झूट का सहारा सिर्फ़ इस वज्ह से न लिया कि झूट बोलने की वज्ह से मुआ़शरे में मुझे झूटा कहा जाएगा और इस बद तरीन ऐ़ब की मेरी त़रफ़ निस्बत की जाएगी । चुनान्चे, इस मौक़अ़ पर शाने रिसालत घटाने के लिये झूट न बोल सकने और मजबूरन सच बोलने की वज्ह ख़ुद बयान करते हैं : فَوَ اللہِ لَوْلَا الْحَیَاءُ مِنْ اَنْ یَاثِرُوا عَلَیَّ کَذِبًا لَکَذَبْتُ عَنْہُ अल्लाह पाक की क़सम ! अगर मुझे इस बात की शर्म न होती कि लोग  मेरी त़रफ़ झूट मन्सूब करेंगे, तो मैं रसूले अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के बारे में झूट बोलता । (بخاری، کتاب بدء الوحی،۱/۱۰حدیث:۷)

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! इस वाक़िए़ से येह बात वाज़ेह़ हो गई कि इस्लाम से पहले भी लोग झूट से सख़्त नफ़रत करते थे, जभी तो ह़ज़रते सय्यिदुना अबू सुफ़्यान رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ ने ईमान लाने से पहले नबिय्ये पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के बारे में सिर्फ़ इस लिये झूट नहीं कहा कि लोग उन के बारे में यूं बातें बनाते कि अबू सुफ़्यान जैसा मुअ़ज़्ज़ज़ सरदार भी झूट बोलता है । ग़ौर कीजिये ! झूट कैसी बुरी आ़दत है कि इस्लाम से पहले भी लोगों के नज़दीक बहुत बुरा समझा जाता था, तो हम मुसलमान हो कर इस बुरी आफ़त से बचने की कोशिश क्यूं नहीं करते ? ह़ालांकि अल्लाह पाक ने हमें इस से बचने का ह़ुक्म इरशाद फ़रमाया है । चुनान्चे, पारह 17, सूरतुल ह़ज की आयत नम्बर 30 में इरशाद होता है :

وَ اجْتَنِبُوْا قَوْلَ الزُّوْرِۙ(۳۰)

तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : और झूटी बात से इजतिनाब करो ।