Jhoot Ki Badboo

Book Name:Jhoot Ki Badboo

क़ुदरती त़ौर पर लोगों को उस का ए'तिबार नहीं रहता, लोग उस से नफ़रत करने लगते हैं । (मिरआतुल मनाजीह़, 6 / 453)

लोगों को हंसाने के लिये झूट बोलना

          ऐ आ़शिक़ाने औलिया ! गुनाह चाहे छोटा हो या बड़ा, उस से बचने में ही सलामती है, बिल ख़ुसूस झूट से कि एक झूट कई गुनाहों का सबब बनता है और एक झूट को छुपाने के लिये लोगों को कई झूट मज़ीद बोलने पड़ते हैं मगर बद क़िस्मती से आज लोगों की एक ता'दाद झूट की आफ़त में गिरिफ़्तार है । कई मवाके़अ़ ऐसे हैं जहां सच बोलने में कोई ख़राबी नहीं होती फिर भी लोग झूट का सहारा लेते हैं, मसलन जहां चन्द अफ़राद की बैठक हो, तो वहां एक दूसरे को हंसाने और मह़फ़िल को गर्माने के लिये झूट बोला जाता है । लोगों को हंसाने के लिये झूट बोलने की मज़म्मत पर दो फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ सुनिये । चुनान्चे,

1.      इरशाद फ़रमाया : बन्दा बात करता है और सिर्फ़ इस लिये करता है कि लोगों को हंसाए, इस की वज्ह से दोज़ख़ की इतनी गहराई में गिरता है जो आसमान व ज़मीन के दरमियान के फ़ासिले से भी ज़ियादा है, बेशक आदमी अपनी ज़बान की वज्ह से जितनी ग़लत़ी करता है, वोह उस ग़लत़ी से ज़ियादा सख़्त है जो वोह क़दमों से करता है ।

(شعب الإیمان، باب فی حفظ اللسان، ۴/۲۱۳، حدیث: ۴۸۳۲)

2.      इरशाद फ़रमाया : ख़राबी है उस के लिये जो बात करे तो झूट बोले ताकि इस से क़ौम को हंसाए, उस के लिये ख़राबी है, उस के लिये ख़राबी है ।

(ترمذی ،۴/۱۴۲، حدیث: ۲۳۲۲)

          ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! फ़ुज़ूल बैठकें जमाने, होटलों की रौनक़ बढ़ाने, दोस्तों की मजलिसों में वक़्त ज़ाएअ़ करने और लोगों को हंसाने के लिये झूटे अफ़्साने सुनाने में नुक़्सान ही नुक़्सान है क्यूंकि ऐसी मजालिस में बैठ कर अपनी ज़बान को फ़ुज़ूल बातों, ग़ीबतों, चुग़लियों और झूट वग़ैरा जैसे गुनाहों से बचाना इन्तिहाई दुशवार हो जाता है । बिलफ़र्ज़ कभी मजबूरन ऐसी मजलिसों