Book Name:Jhoot Ki Badboo
ह़ज़रते सय्यिदतुना अस्मा बिन्ते यज़ीद رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا फ़रमाती हैं : नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ख़िदमत में खाना ह़ाज़िर किया गया, आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने हम पर पेश फ़रमाया । हम ने कहा : हमें ख़्वाहिश नहीं है । फ़रमाया : भूक और झूट दोनों चीज़ों को जम्अ़ मत करो ।
(ابنِ ماجہ،کتاب الاطعمة،باب عرض الطعام،۴/۲۶،حدیث:۳۲۹۸)
सदरुश्शरीआ़, बदरुत़्त़रीक़ा, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना मुफ़्ती मुह़म्मद अमजद अ़ली आ'ज़मी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ येह ह़दीसे पाक ज़िक्र करने के बा'द फ़रमाते हैं : भूक के वक़्त कोई खाना खिलाए, तो खा ले, येह न कहे कि भूक नहीं है कि खाना भी न खाना और झूट भी बोलना दुन्या व आख़िरत दोनों का ख़सारा (नुक़्सान) है । बा'ज़ तकल्लुफ़ (या'नी शर्म) करने वाले ऐसा किया करते हैं और बहुत से देहाती (गांव के रहने वाले) इस क़िस्म की आ़दत रखते हैं कि जब तक उन से बार बार न कहा जाए खाने से इन्कार करते हैं और कहते हैं कि हमें ख़्वाहिश नहीं है । झूट बोलने से बचना ज़रूरी है । (बहारे शरीअ़त, ह़िस्सा : 16, 3 / 372)
ह़कीमुल उम्मत, ह़ज़रते मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : अगर खाना खाते में कोई आ जाए, तो उसे भी खाने के लिये बुलाना सुन्नत है मगर दिली इरादे से बुलाए, झूटी तवाज़ोअ़ (या'नी झूटी आ़जिज़ी) न करे और आने वाला भी झूट बोल कर येह न कहे कि मुझे ख़्वाहिश नहीं ताकि भूक और झूट का इजतिमाअ़ न हो जाए बल्कि अगर (न खाना चाहे या) खाना कम देखे, तो कह दे بَارَکَ اللہ (या'नी अल्लाह पाक आप को बरकत दे) । (मिरआतुल मनाजीह़, 3 / 202)
ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! याद रखिये ! झूट बहुत बुरी बीमारी है, इस झूट से हमें ख़ुद भी बचना है और अपनी औलाद की भी ऐसी मदनी तरबिय्यत करनी है कि येह भी बचपन से ही इस गुनाहे कबीरा से वाक़िफ़ (या'नी पहचानते) हों, इन को पता हो कि झूट क्या होता है ? सच बोलने की क्या क्या बरकतें हैं ?