Book Name:Jhoot Ki Badboo
को त़रह़ त़रह़ से सताना जिन का मा'मूल था, कुफ़्रो शिर्क की तारीकियों में भटकने के बा वुजूद वोह लोग रसूले अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की सच्चाई व अमानत दारी से बहुत मुतअस्सिर थे । नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ अपनी मुबारक ज़िन्दगी के मुश्किल ह़ालात में भी न सिर्फ़ अ़मली त़ौर पर सच पर क़ाइम रहे बल्कि हमें सच्चाई का पैकर बनाने के लिये अपने फ़रामीन की रौशनी में सच की तल्क़ीन भी फ़रमाई । आइये ! सच की अहम्मिय्यत और इस की फ़ज़ीलत पर मुश्तमिल तीन फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ सुनिये । चुनान्चे,
1. बारगाहे रिसालत में एक शख़्स ने ह़ाज़िर हो कर अ़र्ज़ की : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ! जन्नती अ़मल कौन सा है ? इरशाद फ़रमाया : सच बोलना । बन्दा जब सच बोलता है, तो नेकी करता है और जब नेकी करता है, मह़फ़ूज़ हो जाता है, और जब मह़फ़ूज़ हो जाता है, तो जन्नत में दाख़िल हो जाता है । (مسندامام احمد، مسند عبداللہ ابن عمرو بن العاص ، ۲ / ۵۸۹، رقم:۶۶۵۲)
2. इरशाद फ़रमाया : बेशक सच्चाई नेकी की त़रफ़ ले जाती है और नेकी जन्नत की त़रफ़ ले जाती है और बेशक बन्दा सच बोलता रहता है यहां तक कि अल्लाह पाक के नज़दीक बहुत सच बोलने वाला हो जाता है ।
(بخاری ، کتاب الادب ،باب قول اللہ تعالی ، ۴/ ۱۲۵،رقم: ۶۰۹۴)
3. इरशाद फ़रमाया : सच बोला करो अगर्चे तुम्हें इस में हलाकत नज़र आए क्यूंकि इसी में नजात है । (مکارم الاخلاق ،باب فی الصدق ...الخ ، ص۱۱۱)
आइये ! शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के रिसाले "101 मदनी फूल" से छींकने की सुन्नतें और आदाब सुनते हैं । पहले 2 फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ मुलाह़ज़ा कीजिये :
1. अल्लाह पाक को छींक पसन्द है और जमाही ना पसन्द । (بخاری،۴/۱۶۳،حدیث:۶۲۲۶)