Jhoot Ki Badboo

Book Name:Jhoot Ki Badboo

में बैठना पड़ जाए, तो इन गुनाहों से बचने की कोशिश करनी चाहिये और  झूट बोलने के बजाए सच्चाई से काम लेना चाहिये ।

          हमारे बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن कभी झूट का सहारा न लेते बल्कि सच बात कहते अगर्चे सामने वाले को कड़वी लगती । चुनान्चे, ह़ज़रते

सय्यिदुना त़ाऊस رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ वक़्त के ख़लीफ़ा हश्शाम के पास तशरीफ़ ले गए और पूछा : हश्शाम ! कैसे हो ? उस ने ग़ुस्से से कहा : आप ने मुझे "अमीरुल मोमिनीन" कह कर मुख़ात़ब क्यूं नहीं किया ? फ़रमाया : इस लिये कि तमाम मुसलमान तुम्हारी ख़िलाफ़त से मुत्तफ़िक़ नहीं हैं, लिहाज़ा मैं डरा कि तुम्हें अमीरुल मोमिनीन कहना कहीं झूट न ठहरे । इस ह़िकायत को नक़्ल करने के बा'द ह़ुज्जतुल इस्लाम, ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम मुह़म्मद ग़ज़ाली   رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : लिहाज़ा जो आदमी इस क़दर सच्चा हो और इस क़िस्म की बातों (मसलन ग़ीबतों, चुग़लियों, रियाकारियों, ख़ुद पसन्दियों, ख़ुशामदों वग़ैरा वग़ैरा) से बच सकता हो, वोह बेशक लोगों में मिल जुल कर रहे, वरना अपना नाम मुनाफ़िक़ों की फे़हरिस्त में लिखवाने पर राज़ी हो जाए ।

(इह़याउल उ़लूम, 2 / 287)

किसी चीज़ की ख़्वाहिश होने के बा वुजूद झूट बोलना

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! हमारे मुआ़शरे में झूट की एक सूरत येह भी आ़म है कि एक शख़्स को किसी चीज़ की ख़्वाहिश होती है और वोह उसे ह़ासिल भी करना चाहता है मगर जब उस से पूछा जाए कि तुम्हें इस की ह़ाजत है ? तो वोह झूट बोलते हुवे कहता है : मुझे इस की कोई ज़रूरत नहीं ।

ह़ज़रते सय्यिदतुना अस्मा बिन्ते उ़मैस رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا फ़रमाती हैं : मैं ने अ़र्ज़ की : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ! अगर हम में से किसी को किसी चीज़ की ख़्वाहिश हो और वोह कहे कि मुझे इस की ख़्वाहिश नहीं, तो क्या येह झूट में शुमार होगा ? इरशाद फ़रमाया : बेशक झूट को झूट लिखा जाता है, ह़त्ता कि छोटे झूट को छोटा झूट लिखा जाता है ।

(اتحاف السادة المتقین،کتا ب آفات اللسان ، باب الحذر من الکذب بالمعاریض،۹ /۲۸۳)